गुजरात की तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी भाजपा लड़ेगी आगामी विधानसभा चुनाव

भोपाल। गुजरात के अत्यंक घनघोर चुनावी अभियान ने एक बार फिर जाहिर कर दिया कि भाजपा का संगठन इलेक्श मशीन में तब्दील हो गया है। भाजपा ने गुजरात मं जितना आक्रामक और बहुआयामी चुनाव अभियान चलाया है, उतना उसने अभी तक किसी भी राज्य के चुनाव में ऐसा अभियान नहीं चलाया। यहां तक कि उत्तर प्रदेश जैसे देश के सबसे महत्वपूर्ण राज्य में भी भाजपा इतनी आक्रामक और बहुआयामी नजर नहीं आई। भाजपा के गुजरात मॉडल ने विपक्षी दलों को हैरान कर दिया है। किसी भी दल के पास भाजपा संगठन जितनी ताकत नहीं है। भाजपा और संघ परिवार मिलकर कार्यकर्ताओं की ऐसी फौज खड़ी करदेती है जिसका मुकाबला कांग्रेस सहित किसी भी विपक्षी दल के लिए आसान नहीं है।
कल गुजरात में भाजपा ने पहले चरण में होने वाले सभी 89 विधानसभा क्षेत्रों में रैलियां, सभाएं और जनसंपर्क किया। इतने बड़े पैमाने पर चुनाव अभियान चलाने के लिए जितनी शक्ति की आवश्यकता होती है, उतनी देश में किसी भी अन्य दल के पास नहीं है। पार्टी ने कल गुजरात में अपने सभी केंद्रीय मंत्रियों और स्टार प्रचारकों को एक तरह से झोंक दिया। गुजरात में भाजपा ने पन्ना कमेटी बनाने का नया प्रयोग किया है जिसके एक सदस्य को मात्र छह वोटरों पर काम करना है। चुनाव अभियान का ऐसा मॉडल पहली बार गुजरात में भाजपा ने प्रसतुत किया है। नतीजे जो भी हों लेकिन भाजपा के चुनाव अभियान में विपक्षी दलों के खेमों में हडक़ंप मचा दिया है। कोई भी आसानी से देख सकता है कि गुजरात में भाजपा अन्य विपक्षी दलों की तुलना में कहीं आगे हैं।
विपक्षी दलों को गुजरात चुनाव में एकमात्र आस यदि किसी फैक्टर से है तो वह है एंटी इनकंबेंसी। यदि एंटी इनकंबेंसी की तीव्रता अधिक रही तो ही भाजपा को नुकसान हो सकता है अन्यथा पार्टी फिलहाल सभी राजनीतिक दलों से आगे दिख रही है। गुजरात में भाजपा ने जैसा अभियान चलाया है उसी तर्ज पर वह मध्यप्रदेश में भी चुनाव लड़ेगी क्योंकि मध्यप्रदेश के सामाजिक समीकरण भी गुजरात की तरह ही हैं। मध्यप्रदेश की तरह गुजरात में भी लगभग 52 फीसदी ओबसी वर्ग रहता है। इसके अलावा आदिवासी मतदाता भी गुजरात में उतने ही अनुपात में हैं जितने मध्यप्रदेश और गुजरात में अंतर केवल इतना है कि गुजरात में शहरीकरण अधिक है जबकि मध्यप्रदेश में ग्रामीणम मतदाता तुलनात्मक रूप से ज्यादा हैं।