फूलदेई छमा देइ भर भकार के साथ शुरू हुआ धाद का अभियान सुप्रसिद्ध लोक गायिका रेशमा शाह के सुरों के साथ बच्चों ने मनाया फूलदेई

फूलदेई छमा देइ भर भकार के साथ शुरू हुआ धाद का अभियान सुप्रसिद्ध लोक गायिका रेशमा शाह के सुरों के साथ बच्चों ने मनाया फूलदेई
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फूलदेई छमा देइ भर भकार के साथ शुरू हुआ धाद का अभियान
सुप्रसिद्ध लोक गायिका रेशमा शाह के सुरों के साथ बच्चों ने मनाया फूलदेई

दस हजार बच्चों के साथ फूलदेई मनाने का धाद का अभियान 75 राजपुर रोड के छात्रों के साथ प्रारम्भ हुआ। इस अवसर पर बच्चों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ सुप्रसिद्ध लोक गायिका रेशमा शाह ने ले भुजी जाला रे चूड़ा और अन्य गीतों प्रस्तुत करे I जिसमें बच्चे और बड़े थिरकने लगे। इस स्कूल में फूलदेइ के सांस्कृतिक प्रतिभाग के साथ रचनातमक प्रतिभग का आयोजन भी हुआ जिसमे बच्चों ने अपनी मन की कहानियों लिखीऔर रंग भरा। जिनमे से श्रेष्ठ प्रविष्टियों को पुरुस्कृत किया गया।
स्वागत संबोधन करते हुए स्कूल की प्रभारी प्रधनाचार्य विजय लक्ष्मी नौटियाल ने आज की चकाचौंध भरी दुनिया मे फूलदेई को समाज के हाशिये के बच्चों के बीच मनाया जाना एक बेहतरीन कदम है जिज़के लिए धाद बधाई की पात्र है।
आयोजन का परिचय देते हुए कोना कक्षा कक्षा का की सचिव आशा डोभाल ने कहा आज 14 मार्च फूलदेई पर्व से प्रारंभ होने वाले इस मासिक आयोजन में प्रदेश के 10,000 बच्चों के लिए प्रतिभाग कार्यक्रम का लक्ष्य रखा गया है। जिसमे फूलदेई माह के निमित्त विभिन्न गतिविधियों बाल कवि सम्मेलन, बाल साहित्य पर चर्चा, फूलदेई ओपन ड्राइंग कंपीटिशन, मातृभाषा में बाल साहित्य का भी आयोजन किया जाएगा। अभियान 14 अप्रैल को समारोहपूर्वक सम्पन्न होगा।
अभियान का आयोजन धाद के कोना कक्षा का कार्यक्रम से जुड़े शिक्षक और सहयोगियों द्वारा किया जा रहा है। अभियान का परिचय देते हुए गणेश चन्द्र उनियाल ने कहा कि शिक्षा में समाज की रचनात्मक भूनिका का अभियान आज प्रदेश के 700 स्कूलों तक पहुंच चुका है।जहां के छात्र इस बार फूलदेई अभियान में हिस्सेदारी करेंगे।
बच्चों की रंगारंग प्रस्तुति के साथ उपस्थित लोगों ने फूलदेई के साथ अपने संस्मरण साझा किए। प्रसिद्ध अस्थि रोग। विशेषज्ञ डॉ जयंत नवानि ने बताया कि पचास और साठ के दशक तक फूलदेई पहाड़ के जीवन मे शमिल थी। अब पलायन के चलते जब यह छूट रहा है तब ऐसे प्रयास उम्मीद जगाते है।
संस्था के सचिव तन्मय ने बताया कि धाद ने उत्तराखण्ड के लोकपर्वो हरेला फूलदेई इगास को आधुनिक संदर्भो के साथ परम्परा को जोड़ते हुए अभिनव पहल की है। फूलदेई को बाल रचनात्मकता से जोड़ते हुए धाद की पहल को व्यापक समाजिक समर्थन हासिल हुआ है। आयोजन का संचालन अर्चना ग्वाड़ी ने किया। अध्यक्षता कर रहे लोकेश नवानि ने कहा स्वस्थ और सुंदर दुनिया के लिए बच्चों का खुश रहना और हंसना जरूरी है। फूलदेई इसी त्योहार का नाम है।

इस अवसर पर प्रतिमा सिंह, मीनाक्षी देवी, साधना नेगी, संगीता गुलाटी, शालिनी शर्मा, संगीता, कृष्णा, रेखा, सरिता, मनीषा रावत दरिशा डॉ जीपी नवानी , मीना रावत, मनीषा मंमगाई, ज्योति जोशी, राजीव pantri मीना जोशी विद्या सिंह अर्चना डिमरी रेखा शर्मा शांति बिंजोला सविता जोशी दयानंद बाल मनोहर लाल विकास बहुगुणा महावीर रावत कल्पना बहुगुणा मंजू काला साकेत रावत किशन सिंह विजेंद्र रावत,मौजूद रहे।

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