हेली सेवाओं को लगेंगे पंख, बनाए जाएंगे 31 नए हेलीपैड
हेली सेवाओं को लगेंगे पंख, बनाए जाएंगे 31 नए हेलीपैड
देहरादून। उत्तराखंड में नैसर्गिक सौंदर्य की कोई कमी नहीं है। कहीं ऊंचे-ऊंचे पर्वत तो कहीं मखमली बुग्याल पर्यटकों को अपनी ओर बरबस आकर्षित करते हैं। यहां सुदूरवर्ती पर्वतों के बीच बनी प्राकृतिक झीलें पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होने के साथ ही पौराणिक महत्व की भी हैं। इसके अलावा तमाम ऐसे क्षेत्र हैं, जो विश्व पर्यटन के नक्शे में अपना स्थान बना रहे हैं। यह बात जरूर है कि इन तक पहुंचना हर किसी के बस की बात नहीं। शारीरिक रूप से चुस्त-दुरुस्त व्यक्ति ही कई किलोमीटर की ट्रेकिंग कर प्रकृति के इस सौंदर्य का आनंद लेते हैं। अब प्रदेश सरकार आम व्यक्ति की पहुंच इन स्थानों तक सुलभ करने की तैयारी में हैं। सरकार का प्रयास ऐसे पर्यटन स्थलों के आसपास हेलीपैड तैयार करने का है, ताकि पर्यटक हेली सेवाओं के जरिये इन स्थानों तक पहुंच सकें और उन्हें कम से कम पैदल चलना पड़े। इसके साथ ही वे आकाश से भी बर्फ से लदी पहाडिय़ों का सौंदर्य भी देख पाएंगे। पर्यटन एवं तीर्थाटन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण देवभूमि की वादियों की हवाई सैर अब आसान और सुलभ होगी। सैलानियों को आकर्षित करने के उद्देश्य से सरकार अब हेली सेवाओं को विस्तार देने की तैयारी में है। इस कड़ी में प्रदेश सरकार 31 नए स्थानों पर हेली सेवा को संचालित करने के लिए हेलीपैड बनाने की दिशा में कार्य कर रही है। देहरादून, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा जिलों में ये हेलीपैड बनाए जाएंगे।
राज्य में 51 स्थानों पर हैं हेलीपैड
प्रदेश में हेली सेवाओं का धीरे-धीरे विस्तार हो रहा है। अभी उड़ान योजना के तहत देहरादून से चिन्यालीसौड़, देहरादून से गौचर, देहरादून से टिहरी, देहरादून से श्रीनगर, देहरादून से अल्मोड़ा व हल्द्वानी से पिथौरागढ़ के लिए हेली सेवाओं का संचालन किया जा रहा है। तीर्थाटन को देहरादून से केदारनाथ व चमोली जिले के विभिन्न स्थानों से केदारनाथ व हेमकुंड साहिब के लिए हेली सेवाएं संचालित की जा रही हैं। इन्हें मिलाकर प्रदेश में 51 स्थानों पर हेलीपैड बने हुए हैं।
प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के निकट बनेंगे हेलीपैड
पर्यटन विभाग ने जिलाधिकारियों को अपने जिलों के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के निकट हेलीपैड के लिए जमीन चिह्नित करने के निर्देश दिए हैं। मकसद यह है जल्द से जल्द इन जमीनों का अधिग्रहण कर यहां हेलीपैड तैयार कर हेली सेवाओं का संचालन किया जा सके। हेलीपैड बनाने का खर्च प्रदेश सरकार स्वयं वहन करेगी। प्रदेश सरकार की योजना निजी हेली कंपनियों के माध्यम से इन स्थानों पर हेली सेवाएं शुरू करने की है। इससे न केवल सरकार को राजस्व मिलेगा, बल्कि पर्यटकों को भी इससे सहूलियत मिल सकेगी।
दिलीप जावलकर बोले भूमि चिह्नित के निर्देश
उत्तराखंड आपदा के लिहाज से भी संवेदनशील राज्य है। आपदा के दौरान राहत एवं बचाव कार्यों में हेलीकाप्टर का प्रयोग किया जाता है। नए स्थानों पर हेलीपैड आपदा के दौरान राहत एवं बचाव कार्यों के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होंगे। दिलीप जावलकर (सचिव नागरिक उड्डयन) ने कहा कि प्रदेश में हेली सेवाओं को विस्तार देने की तैयारी चल रही है। इस कड़ी में अब 31 स्थानों पर नए हेलीपैड बनाने की तैयारी है। इसके लिए सभी जिलाधिकारियों को भूमि चिह्नित करने के लिए कहा गया है।