उत्तराखंड

महिला आयोग के निर्देश पर दो महीने से लापता नाबालिग को पुलिस ने किया बरामद, आयोग की अध्यक्ष ने पुलिस को दी शाबाशी

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ऋषिकेश: ऋषिकेश के शिवाजीनगर से लगभग 17 वर्ष की नाबालिग किशोरी के दो महीने पहले अचानक कहीं चले जाने पर परिजनों ने थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी। जिस पर पुलिस ने छानबीन शुरू करी थी। परंतु किशोरी के पास मोबाइल न होने के कारण उसकी लोकेशन का पता लगाना पुलिस के लिए मुश्किल हो रहा था ।

 

बेटी के गुमशुदा होने से परिजन अत्यधिक परेशान थे, वहीं इस मामले में परिजनों ने उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल से मुलाकात कर मामले की जानकारी दी और अपनी बेटी की सकुशल बरामदगी की गुहार लगाई।

 

महिला आयोग के अध्यक्ष ने मानव तस्करी को रोकने के लिए काम कर रही संस्था ह्यूमन राइट काउंसिल के राजेंद्र पँवार के साथ स्वयं ऋषिकेश कोतवाली पहुंच कर जल्द से जल्द किशोरी को ढूंढने के लिए पुलिस को निर्देशित किया था तथा सभी संदिग्धों को जांच के दायरे में लेते हुए कार्यवाही करने के निर्देश दिए थे।

 

मामले में आयोग की अध्यक्ष लगातार पुलिस से जानकारी लेती रही जिस पर एसओ ऋषिकेश ने आज 10 अक्टूबर को फोन पर जानकारी देते हुए आयोग की अध्यक्ष को बताया की कुछ दिन पूर्व किशोरी से फोन में बात करने के बाद उस की लोकेशन ट्रेस की गई जिसे मेरठ से सकुशल बरामद कर लिया गया है।

 

वहीं इस मामले में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कण्डवाल ने पुलिस के अधिकारियों को व पूरी टीम को बधाई एवं शाबाशी दी और कहा कि समाज में ऐसे मामले बढ़ने लगे है जिस पर अंकुश लगाना अत्यंत आवश्यक है। पुलिस को ऐसे प्रकरणों में तत्काल जांच व कार्यवाही करनी चाहिये तथा युवतियों के भागने या गायब हो जाने वाले इन मामलों में सहयोग करने वालो के विरुद्ध भी एक्शन लेना चाहिए।

 

हालांकि पुलिस की जानकारी के अनुसार लड़की लगभग 17 वर्ष 6 माह की है और उसने घर से जाने के बाद शादी कर ली है। जो कि अब अपने परिजनों के पास जाने से इनकार कर रही है जिसे अभी बालिग होने तक नारी निकेतन में रखा जाएगा।

 

साथ ही महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कण्डवाल ने कहा कि मेरी सभी माता पिता से अपील है की अपने बच्चों को अपना दोस्त बनाए तथा अपने बच्चो पर कड़ी नजर रखे हमारे बच्चे किस संगत में है तथा किस किस से कितनी कितनी देर बात कर रहे है क्योंकि इस उम्र में ऐसी घटनाओं के घटने की संभावना अधिक बढ़ जाती है इसलिए हमे अपनी युवा पीढ़ी को मित्र रूप में रखकर अपने संस्कारों व अपनी जड़ों से जोड़कर रखना चाहिए।

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