देहरादून की 350 बीघा बेशकीमती जमीन बचा लो धामी सरकार : एडवोकेट विकेश नेगी

देहरादून की 350 बीघा बेशकीमती जमीन बचा लो धामी सरकार : एडवोकेट विकेश नेगी
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– रिंग रोड की 350 बीघा जमीन पर भूमाफिया का कब्जा

– जमीन महाघोटाले पर शासन-प्रशासन और पुलिस ने चुप्पी साधी

देहरादून। देहरादून शहर के रायपुर रिंग रोड स्थित 350 बीघा जमीन पर एक भूमाफिया की नजर है। सोशल एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी का कहना है कि इस सरकारी जमीन पर अतिक्रमण है लेकिन शासन-प्रशासन आंखें मूूंदे करोड़ों रुपये की जमीन को खुर्द-बुर्द होते देख रहा है। विकेश नेगी ने कहा कि इस भूमि को लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ ही देहरादून के जिलाधिकारी डॉ राजेश कुमार से भी लिखित शिकायत की थी लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

एडवोकेट नेगी ने कहा कि वह इस मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने जा रहे हैं। वहीं इस पूरे मामले में MDDA अधिकारियों द्वारा नक्शा पास किए जाने और बैंकों द्वारा लोन दिए जाने को लेकर भी उन्होंने सीबीआई जांच की मांग की है। विकेश नेगी ने कहा ऐसा लग रहा है इस जमीन महाघोटाले में ऊपर से नीचे तक सब शामिल है।

देहरादून के रिंग रोड पर स्थित 350 बीघा जमीन सीलिंग की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस विवादित जमीन को लेकर आदेश दिया था कि 10 अक्टूबर 1975 के बाद यदि इसकी कोई सेलडीड बनती है तो यह जमीन सरकार की हो जाएगी। इसके बावजूद अब तक लगातार सीलिंग की जमीन की खरीद-फरोख्त हो रही है। सोशल एक्टिविस्ट विकेश नेगी के मुताबिक उन्होंने इस साल जनवरी माह में डीएम को पत्र लिखकर शिकायत की थी लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

एडवोकेट विकेश नेगी का तर्क है कि सरकार देहरादून में महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज के पास विधानसभा भवन बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण की तैयारी कर रही थी। वहीं पीएचक्यू व एसएसपी ऑफिस का भी न्यायालय में विवाद चल रहा है। सरकार अगर इस पूरी जमीन का अधिग्रहण कर देती तो कई समस्याओं का समाधान हो सकता था। एडवोकेट नेगी ने कहा विभिन्न सरकारी कार्यालय किराये के भवनों में चल रहे हैं। यदि सरकार चाहे तो रिंग रोड की सरकारी जमीन पर भवन निर्माण कर विभागों को यहां स्थापित कर सकती है। लेकिन सरकार अपनी ही जमीन नहीं बचा पा रही है। उन्होंने कहा कि रिंग रोड स्थित एक मात्र खेल मैदान पर भूमाफियाओं का कब्जा होने से खिलाड़ी मायूस हैं। नेगी ने कहा देहरादून में एकमात्र गांघी पार्क है। सरकार चाहती तो इस जमीन पर एक पार्क भी बनाया जा सकता था।

आरटीआई एक्टिविस्ट नेगी के मुताबिक इस मामले में पुलिस थाने, क्षेत्रीय पार्षद और विधायक की चुप्पी भी समझ से परे है। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग की है कि उक्त सरकारी भूमि को खुर्द-बुर्द होने से बचाकर अपना भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस का नारा सही साबित करें।

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