एम्स ऋषिकेश में फार्माकोलाॅजी विभाग के तत्वावधान में बृहस्पतिवार से दो दिवसीय कान्फ्रेन्स

एम्स ऋषिकेश में फार्माकोलाॅजी विभाग के तत्वावधान में बृहस्पतिवार से दो दिवसीय कान्फ्रेन्स
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ऋषिकेश: स्वास्थ्य के क्षेत्र में साक्ष्य आधारित दवा के उपयोग को बढ़ावा देने और दवाओं के दुष्प्रभावों को न्यूनतम करने के उद्देश्य से देशभर के फार्माकोलाॅजिस्ट सम्मेलन हेतु एम्स ऋषिकेश में जुटे हैं। फार्मा के विशेषज्ञ चिकित्सक यहां दो दिनों तक उक्त विषय पर अपने विचारों का व्यापक मंथन करेंगे। ’मेडिकल सेफ्टी इन एन एरा आफ एविडेन्स बेस्ड मेडिसिन’ विषय पर आधारित इस सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए बतौर मुख्य अतिथि संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने एविडेन्स बेस्ड मेडिसिन को प्रैक्टिस में लाने की आवश्यकता बतायी। उन्होंने कहा कि इलाज के दौरान हमें दवाओं के प्रभावों को ही नहीं, अपितु उसके दुष्प्रभावों को भी ध्यान में रखना होगा। प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने कहा कि एम्स ऋषिकेश का एडीआर सेन्टर ( एडवर्स ड्रग रिएक्शन सेंटर ) इस दिशा में वर्ष 2014 से लगातार कार्य करते हुए दवाओं के दुष्प्रभाव की माॅनेटेरिंग कर रहा है। उन्होंने उम्मीद जतायी दो दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन से स्वास्थ्य क्षेत्र के लाभ हेतु बेहतर और सकरात्मक निष्कर्ष निकलेगा।

सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि आईसीएमआर के पूर्व महानिदेशक और एम्स दिल्ली के डाॅक्टर प्रो. बलराम भार्गव ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में हम वर्ष 1948 तक विदेशों की मदद पर निर्भर थे। उस समय तक देश अन्य देशों से दवाएं आयात करता था लेकिन केेन्द्र सरकार की नीतियों और स्वास्थ्य क्षेत्र में लिए गए ठोस निर्णयों की बदौलत वर्तमान में हम अपने देश में तैयार की जाने वाली दवाओं को विश्व भर को निर्यात कर रहे हैं। अपने संबोधन में उन्होंने कोविड काल के समय का जिक्र करते हुए कहा कि वर्ष 2022 में भारत ने विश्व के 98 देशों को कोविड की स्वदेशी वैक्सीन निर्यात की है। डाॅ. भार्गव ने कहा कि पहले हम दूसरे देशों पर निर्भर थे लेकिन अब हम दवा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होकर अन्य देशों को दवा निर्यात कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि दो दिनों तक चलने वाली इस राष्ट्रीय स्तर की कान्फे्रन्स में ’सोसाईटी ऑफ फार्माकोलाॅजी इन्डिया’ के विभिन्न विशेषज्ञ चिकित्सक प्रतिभाग कर रहे हैं। इससे पूर्व सम्मेलन के आयोजन अध्यक्ष और एम्स ऋषिकेश के फार्माकोलाॅजी विभाग के हेड प्रो. शैलेन्द्र हाण्डू ने सम्मेलन में पंहुचे प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए इस सम्मलेन की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन के माध्यम से एविडेन्स बेस्ड मेडिसिन की थ्योरी को और बल मिलेगा।

सम्मेलन के पहले दिन फार्मा के विभिन्न विशेषज्ञों ने इलाज के दौरान बढ़ती दवाओं के दुष्प्रभाव, विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार एडीआर सेन्टर के कार्य करने के तरीके और दवाओं के दुष्प्रभाव की नियमित निगरानी करने, क्लीनिकल फार्माकोलाॅजी की मेडिकल क्षेत्र में भूमिका, दवा उत्पादन व अनुसन्धान के समय इनसे होने वाले दुष्प्रभाव और स्वास्थ्य की दृष्टि से आर्टिफिशियल इन्टेलिजेन्स किस प्रकार मददगार हो सकती है, जैसे विभिन्न विषयों पर व्यापक चर्चा की।

सम्मेलन को एम्स ऋषिकेश के फार्माकोलाॅजी विभाग की डाॅ. मनीषा बिष्ट, दून मेडिकल काॅलेज देहरादून की डाॅ. रेनू गुलवानी, एम्स भोपाल के प्रो. रतिन्द्र झाज, स्कूल आफ टोपिकल मेडिसिन कोलकाता के डाॅ. शम्भू एस. समझदार, एम्स ऋषिकेश के गेस्ट्रो विभाग के डाॅ. रोहित गुप्ता, एम्स भुवनेश्वर के डाॅ. आनन्द श्रीनिवासन सहित विभिन्न राज्यों से आए कई अन्य फार्मा विशेषज्ञों ने भी संबोधित किया। इस दौरान सम्मेलन के आयोजन सचिव और एम्स ऋषिकेश फार्माकोलाॅजी विभाग के डाॅ. पुनीत धमीजा, डॉ. विनोद कुमार सहित डेलीगेट्स डाॅ. शोईवाल मुखर्जी, डाॅ. गुरू प्रसाद, अरशिया भण्डारी, प्रो. वर्तिका सक्सैना, डाॅ. मीनाक्षी धर, डाॅ0 पी.के. पण्डा, डाॅ. विश्वदीप दास सहित कई अन्य मौजूद रहे।

Mankhi Ki Kalam se

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