प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना से ऋण लेकर मोहनचट्टी निवासी विपिन बिष्ट ने खोला लौन्ड्रि का स्वरोजगार साथ ही स्थानीय को दिया रोजगार

प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना से ऋण लेकर मोहनचट्टी निवासी विपिन बिष्ट ने खोला लौन्ड्रि का स्वरोजगार साथ ही स्थानीय को दिया रोजगार
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यमकेश्वर। कोविड काल में बहुत से प्रवासी उत्तराखण्ड लौट कर आये, कुछ समय तक गॉव में ही रूके,लेकिन जब गॉव में उनके मुताबिक रोजगार उपलब्ध नहीं हो पाया तो अधिकांश लोग वापिस रोजगार के लिए फिर शहरों की ओर चले गये। वहीं कुछ लोगों ने प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत बैंकों से ऋण लेने की प्रक्रिया प्रारम्भ किया, लेकिन ऋण लेने की लंबी प्रक्रिया ने युवाओं के स्वरोजगार के प्रति जगी रूचि को समाप्त कर दिया, लेकिन कुछ लोगों ने हार नहीं मानी, और अपना स्वरोजगार प्रारम्भ कर दिया।

मोहनचट्टी निवासी विपिन बिष्ट जो 2016 से राफ्टिंग और कैम्पिंग से जुड़े हुए थे, लॉकडाउन में राफ्टिंग और कैम्पिंग व्यवसाय में गिरावट आने से उन्होंने फिर कुछ अलग हटकर कार्य करने की सोची। कैम्प में काम करते वक्त उनका अनुभव काम आया। बिजनी, मोहनचट्टी, बैरागढ, रत्तापानी, फूलचट्टी, घट्टूगाड़, आदि जगहों पर कैम्प हैं, सीजन के समय कैंम्पों में कपड़े जैसे चद्दर तौलिये, पर्दे आदि धुलने की मॉग बढ जाती है, मोहनचट्टी में छोटी लौन्ड्री के चलते खपत पूरी नहीं हो पाती थी, तब ऋषिकेश भेजने पड़ते थे लेकिन ऋषिकेश से समय पर धुले कपड़े नहीं मिल पाने से समस्या आ जाती थी। इसके चलते विपिन बिष्ट ने लौन्ड्री का कार्य बड़े स्तर पर खोलने का विचार बनाया।

विपिनि बिष्ट ने बताया कि उन्होंने मोहनचट्टी में लौण्ड्री खोलने के लिए प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना से ऋण लिया और कुछ अपनी सम्पत्ति से तीन मशीने दिल्ली से खरीदकर लाये, जिसमें से एक धुलाई, एक निचोड़ने और तीसरी सुखाने के लिए है। उनका सारा काम मशीनों से होता है, इसके लिए उन्होंने तीन स्थानीय लोगों को भी रोजगार उपलब्ध कराया है। साथ ही उन्होंने बताया कि अभी तो उनके पास अच्छी मॉग आ रही है, और ग्राहकों की मॉग भी समय पर पूरी की जा रही है। पिछले दो महीने में उन्होंने 50 हजार के लगभग कपड़े अपनी लौण्ड्री से धुलवा चुके हैं।

इससे पहले मोहनचट्टी ( महादेवसैन ) में  धीरेन्द्र बिष्ट ने लौण्ड्री का व्यवसाय शुरू किया, लेकिन विपिन बिष्ट ने इसे बड़े स्तर पर कर क्षेत्र में स्वरोजगार के लिए अन्य को भी प्रेरित किया, वहीं धीरेन्द्र बिष्ट जैसे युवा भी गॉव में रहकर अपना स्वरोजगार चला रहे हैं। कैम्प और राफ्टिंग जैसे व्यवसाय से जुड़े क्षेत्र होने के कारण यह व्यवसाय अभी इन युवाओं के लिए स्वरोजगार का अवसर पैदा कर रहे हैं।

Mankhi Ki Kalam se

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