संसार शरीर से प्रेम ही अविद्या -आचार्य अजयानन्द नौटियाल जी
संसार शरीर से प्रेम ही अविद्या -आचार्य अजयानन्द नौटियाल जी
महाराज अजया नंद नौटियाल जी
ने कहा कभी संसार शरीर से प्रेम मेरे गोविन्द नहीं करते है बल्कि जिसका का मन निर्मल होता है, उस से गोविन्द प्रेम करते है, उन विद्या रूपी शरीर त्याग ” देते हैं और विद्या की प्राप्ति होती है जीव मंगलमय हो जाता है। भागवत कथा के षष्ठम दिवस पर अजयानन्द जी ने कहा कि संकल्प मात्र से गोविन्द भक्त को पा लेते हैं, गोपियों के साथ रास लीला की तो काम रूपी अभिमान को भगवान ने समाप्त किया और गोपियो का मनोरथ पूर्ण किया।
आज रुक्मी ने अपनी बहन की बात शिशुपाल के साथ कर दी पर माँ रुकमणी कृष्ण को ही अपना सब कुछ मान लिया और भगवान कृष्ण ने आज रुक्मणी के साथ विवाह किया।
व्यास जी ने कहा कि जैसे मेरे राम आज अपने अयोध्या घर आये तो पूरे भारत के सनातनियों ने खुल दीपावली मनायी। आचार्य अजयानन्द ने कहा की ये भागवत कथा भी अयोध्या प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर रखी है, और सभी भक्तो ने राम कृष्ण के भजनों में खूब झूमे। इसके साथ ही कृष्णा की झांखी भी दिखाई गई। इस अवसर पर मंत्री सुबोध उनियाल सौरभ बहुगुणा, सविता कपूर, पी सी ध्यानी, सुमिता ध्यानी आशाराम नौटियाल जी उर्मिला, आशा, अंजू,प्रमोद अवस्थी राहुल राणा आदि भक्त मौजूद रहे ।