पहाड़ का अन्न उत्पादन सबके जीवन में शामिल करने के संकल्प के साथ जारी हुआ धाद का कैलेंडर

पहाड़ का अन्न उत्पादन सबके जीवन में शामिल करने के संकल्प के साथ जारी हुआ धाद का कैलेंडर
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विश्व मिलेट वर्ष में 1000 फंची परिवारों को बनाने का संकल्प लिया गया

 

देहरादून : सामाजिक संस्था धाद ने 2022 की गतिविधियों और नए वर्ष के संकल्प के साथ नए वर्ष का कैलेंडर जारी किया।कैलेंडर का विमोचन धाद स्मृतिवन में कल्यो की संयोजिका मंजू काला, कोना कक्षा का के संयोजक गणेश चंद्र उनियाल, स्मृतिवंन के संयोजक वीरेंदर खंडूरी, पुनरुत्थान के संयोजक विजय जुयाल, व्यास श्री शिव प्रसाद ग्वाड़ी, डॉ’ जे पी नवानि, डॉ मयंक डबराल और लोकेश नवानी द्वारा किया गया.।

रविंद्र नेगी द्वारा डिजाइन किया गया कैलेंडर विश्व मिलेट वर्ष के पक्ष में पहाड़ के अन्न उत्पादन की पैरवी करता है इसके साथ कैलेंडर धाद के कोना कक्षा का की शिक्षा की पहल, हरेला के साथ देश विदेश के आयोजन और पुनरुत्थान के अंतर्गत आपदा प्रभवित बच्चों की शिक्षा के सामाजिक प्रयासों को सामने रखता है.आयोजन में वर्ल्ड मिलेट ईयर 2023 का स्वागत झंगोरे की खीर,कोदे की रोटी,खुश्का( मीठा भात), झोली, गैथ का फ़ाणू, धबड़ी और पहाड़ी चाय के साथ किया गया।

धाद का कैलेंडर के साथ वार्षिक संकल्प जारी करते हुए धाद के केन्द्रिय सचिव तन्मय ने कहा कि धाद का लक्ष्य एक संस्था बनना भर नहीं बल्कि एक बेहतर समाज की नींव बनना है जिसमे अपनी विद्रूपताओं और संकटों से लड़ने की स्वाभाविक शक्ति हो. धाद के सभी कार्यक्रम समाज के साथ उसकी वास्तविक भागीदारी के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे है इस वर्ष जब यूनेस्को ने विश्व मिलेट वर्ष घोषित किया है तब धाद ने व्यापक समाज को पहाड़ के मिलेटस के साथ जोड़ने के लिए हमने 1000 फँची परिवारों को बनाने का लक्ष्य रखा है जो अपने मासिक भोजन में पहाड़ी अन्न उत्पादन को शामिल करने की पहल करेंगे

*कल्यो की संयोजिका मंजू काला ने कहा कि धाद के निरन्तर प्रयासों के चलते पहाड़ के भोजन को सामाजिक और शासकीय स्वीकार्यता मिलती दिखाई दे रही है। जिसका प्रथम पड़ाव 2015 का घी संग्रान्द का शासकीय आयोजन था। लेकिन इसको वास्तविक आधार तब मिलेगा जब प्रदेश के बाहर देश दुनिया के भोजन का भी हिस्सा बनेगा इसके लिए इस दिशा में नए नए प्रयोग किये जाने की जरुरत है कल्यो फ़ूड फेस्टिवल के साथ धाद इस प्रयोग को निरंतर कर रही है और उसे व्यापक सामाजिक स्वीकार्यता भी मिल रही है*

कोना कक्षा का के संयोजक गणेश चंद्र उनियाल ने बताया की सार्वजनिक शिक्षा में समाज की रचनात्मक सहभागिता के कार्यक्रम कोना कक्षा का ने बहुत कम समय में प्रदेश के दूरस्थ स्कूलों में समाज की सहभागिता के साथ देश की श्रेष्ठ पुस्तकों के कोने स्थापित करने में सफलता पायी है उत्तराखंड के 600 से अधिक स्कूलों में हम समाज को जोड़ने में सफल रहे है जिनके साथ हम फूलदेई हरेला जैसे स्थानीय सन्दर्भ भी पहुँचा रहे है

*स्मृतिवन के संयोजक वीरेंदर खंडूरी ने कहा की हरेला का संकल्प उसके विभिन्न अध्याय के साथ निरंतर आगे बढ़ रहा है दो वर्ष पुर्व धाद की पहल पर विकसित किया जा रहा स्मृतिवन आज सामाजिक सहभागिता का श्रेष्ठ नमूना है जहाँ लोगों ने अपने योगदान से एक वन विकसित किया है और उसके साथ प्रदेश की विरासत को भी संजोया है*

पुनरुत्थान के संयोजक विजय जुयाल ने बताया की आपदा प्रभावित छात्रों की शिक्षा में सहयोग का कार्यक्रम केदारनाथ आपदा के पश्चात प्रारम्भ हुआ था जो अनवरत जारी है पूर्णतः सामजिक सहयोग से चलाया जा रहा यह कार्यक्रम संकट में सामाजिक सहयोग की एक मिसाल है जिसमे 45 लाख से अधिक की राशि के साथ 200 से अधिक आपदा प्रभावित बच्चे शिक्षा ग्रहण कर चुके है

व्यास शिव प्रसाद ग्वाड़ी ने धाद के प्रयासों की सराहना करते हुए समाज को इसके साथ जुड़ने का आवाहन किया

*धाद के अध्यक्ष लोकेश नवानि ने कहा कि तीन दशकों से उत्तराखंड के तमाम सामाजिक प्रश्नों पर धाद की यात्रा उसकी सामाजिक विश्वसनीयता हासिल करने और उसे बनाये रखने की मिसाल है। धाद एक नया समाज बना रही है जो सचेत और संवेदनशील है।*

आयोजन का सञ्चालन अर्चन ग्वाड़ी ने किया

इस अवसर पर आशा डोभाल, बृज मोहन उनियाल, साकेत रावत, इंदु भूषण सकलानी, सुरेंद्र अमोली, सुशील पुरोहित, मनीषा ममगाईं, संजीव ग्वाड़ी, दीपा, सुशील नैथानी, दयानन्द डोभाल, मनोहर लाल,गौरव शर्मा, महावीर रावत, प्रमोद बहुगुणा, ऊषा मंमगाई, आशीष पोखरियाल, पुष्पलता मंमगाई, सविता जोशी, बलवंत रावत, शशि डंडरियाल, सिद्धार्थ शर्मा, मेघा, अंकिता सुयाल, योगेश बिष्ट,विनोद, शुभम शर्मा मौजूद थे

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