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उगते सूरज की पूजा न करें, नितिन गडकरी का किस पर निशाना?

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नागपुर । केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मौजूदा राजनीति को लेकर बडी बात कही है। नितिन गडकरी ने रिचर्ड निक्सन के कथन का हवाला देते हुए कहा कि जब कोई व्यक्ति पराजित होता है तो खत्म नहीं होता। जब वह हार मान लेता है तो खत्म हो जाता है। गडकरी ने यह बात उद्यमियों की एक बैठक के दौरान कही। उन्होंने यह भी कहा कि जो कोई भी व्यवसाय, सामाजिक कार्य या राजनीति में है, उसके लिए मानवीय संबंध सबसे बड़ी ताकत है। हाल में बीजेपी के संसदीय बोर्ड से हटाए जाने को लेकर चर्चा में रहे गडकरी ने कहा, ‘इसलिए, किसी को भी ‘इस्तेमाल करो फेंको’ की दौर में नहीं शामिल होना चाहिए। अच्छे दिन हों या बुरे दिन, जब एक बार किसी का हाथ थाम लें, उसे थामें रहें। उगते सूरज की पूजा न करें।’

गडकरी ने याद किया कि जब वह छात्र नेता थे, तब कांग्रेस नेता श्रीकांत जिचकर ने उन्हें बेहतर भविष्य के लिए कांग्रेस में शामिल होने के लिए कहा था। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैंने श्रीकांत से कहा, मैं कुएं में कूदकर मर जाऊंगा, लेकिन कांग्रेस में शामिल नहीं होऊंगा, क्योंकि मुझे कांग्रेस की विचारधारा पसंद नहीं है।

 

हार मानने तक आदमी खत्म नहीं होता

 

गडकरी ने कहा कि युवा उद्यमियों को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की आत्मकथा का वाक्य याद रखना चाहिए कि हारने पर आदमी का अंत नहीं होता है, लेकिन जब वह हार मान लेता है तो वह खत्म हो जाता है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बीजेपी अध्यक्ष के अपने कार्यकाल के दौरान शिवराज सिंह चौहान को संसदीय बोर्ड में शामिल किया था। पर अब उनकी भी संसदीय बोर्ड से छुट्टी हो गई है। हालांकि, एक सच ये भी है कि बीजेपी की इस सर्वाेच्चा नीति निर्धारक बॉडी में बीजेपी शासित राज्यों का कोई भी सीएम शामिल नहीं है। पर इतना तो तय है कि पार्टी में चौहान का कद घट गया है।

 

गडकरी का राजनीति छोड़ने का बयान और बीजेपी संसदीय बोर्ड से हटाना

 

इससे पहले पिछले महीने नागपुर में आयोजित एक समारोह में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि कभी-कभी वह सोचते हैं कि राजनीति छोड़ दें क्योंकि जीवन में कई और चीज करने के लिए पड़े हैं। एक अन्य समारोह में गडकरी ने कहा था कि दानदाता राजनीतिक दलों के पीछे पड़े रहते हैं और उनकी मांग को पूरा करना पड़ता है। चूंकि मैं पार्टी अध्यक्ष नहीं हूं तो मुझे इस तरह की चीजों से वास्ता नहीं पड़ता है। ऐसा लगता है कि वह इन बयानों के जरिए संकेत दे रहे थे। तीन सप्ताह बाद नागपुर से बीजेपी सांसद गडकरी को पार्टी संसदीय बोर्ड से हटा दिया गया। इसके अलावा केंद्रीय चुनाव समिति से भी हटा दिया गया। इसमें कई नए चेहरों को शामिल किया गया, जिसमें महाराष्ट्र के डेप्युटी सीएम देवेंद्र फडणवीस भी शामिल थे। कहा तो ये भी जा रहा कि गडकरी को हटाने के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भी सहमति थी।

 

आरएसएस में बदले समीकरण से कटा पत्ता!

 

मौजूदा फेरबदल को विश्लेषक गडकरी और पीएम नरेंद्र मोदी एवं गृह मंत्री अमित शाह के बीच मनमुटाव को मान रहे हैं। हालांकि कई अन्य लोगों का मानना है कि ये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में बदले समीकरण के कारण है। विश्लेषकों का मानना है कि गडकरी की आरएसएस के साथ नजदीकी की बात अब उतनी सही नहीं लग रही है। यही नहीं गडकरी का डिमोशन और फडणवीस का प्रमोशन के कई मायने हैं। फडणवीस भी नागपुर से जीतते हैं। एक वक्त था जब फडणवीस महाराष्ट्र के सीएम बने थे तो वह गडकरी से काफी पीछे थे।

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