देहरादून- दिल्ली के बीच आज से दौड़ेगी इलेक्ट्रिक लग्जरी बस

देहरादून- दिल्ली के बीच आज से दौड़ेगी इलेक्ट्रिक लग्जरी बस
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देहरादून। उच्च श्रेणी के यात्रियों को सुविधा में इजाफा और बेहतर सेवा देने के लिए अब दून-दिल्ली मार्ग पर रोडवेज की इलेक्ट्रिक लग्जरी बस दौड़ेगी।

परिवहन मंत्री दिखाएंगे हरी झंडी

आज शनिवार को आइएसबीटी से परिवहन मंत्री चंदन रामदास इलेक्ट्रिक बस को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। दावा किया जा रहा कि बस में यात्रा करने वाले यात्रियों को इंजन की आवाज का भी पता नहीं चलेगा। पहले चरण में पांच बसों का अनुबंध किया गया है, जो तीन माह ट्रायल पर चलेंगी। यदि यह सफल रहीं तो 50 इलेक्ट्रिक लग्जरी बसों का अनुबंध रोडवेज की ओर से किया जाएगा।

26 सुपर लग्जरी वाल्वो बसों का संचालन

रोडवेज इस समय देहरादून-दिल्ली मार्ग पर कुल 26 सुपर लग्जरी वाल्वो बसों का संचालन कर रहा। इसमें 24 बसें दिल्ली व शेष दो बसें गुरुग्राम के लिए चल रही हैं। ये बसें डीजल से संचालित होती हैं। इस वक्त दिल्ली में प्रदूषण को लेकर जो प्रतिबंध लग रहे हैं, उसमें आठ वर्ष से अधिक आयु वाली डीजल बस दिल्ली नहीं जा सकती।

इलेक्ट्रिक या सीएनजी बस चलाने की सिफारिश

दिल्ली सरकार ने सभी राज्यों को पत्र भेज दिल्ली के लिए इलेक्ट्रिक या सीएनजी बस चलाने की सिफारिश की है। डीजल बस बीएस-6 श्रेणी की होगी, तभी दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति मिलेगी। बीएस-4 श्रेणी वाली बसों के दिल्ली में प्रवेश पर एक अक्टूबर से प्रतिबंध लगना था, लेकिन राज्य सरकारों के आग्रह के बाद इसे 31 मार्च 2023 तक के लिए टाल दिया गया। ऐसे में राज्यों को मार्च तक बीएस-6 डीजल बस, इलेक्ट्रिक या सीएनजी बसों की व्यवस्था करनी है।

इलेक्ट्रिक लग्जरी बसों का किया अनुबंध

इसी क्रम में उत्तराखंड रोडवेज ने मुंबई स्थित ग्रीन सेल एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ इलेक्ट्रिक लग्जरी बसों का अनुबंध किया है। कंपनी ने ट्रायल के लिए पांच बसें उपलब्ध करा दी हैं, जो शनिवार से दून-दिल्ली मार्ग पर दौड़ेंगी। रोडवेज के अधिकारियों के अनुसार इलेक्ट्रिक लग्जरी बसों का दून से दिल्ली तक किराया वाल्वो बसों के समान 888 रुपये ही रहेगा। आनलाइन टिकट बुकिंग में 24 रुपये अतिरिक्त लगेंगे।

रोडवेज के निजीकरण का आरोप

कर्मचारी संगठन इन बसों के संचालक को रोडवेज के निजीकरण करने से जोड़कर आरोप लगा रहे। उनका कहना है कि अभी तक जो भी अनुबंधित बस चल रही, उसमें किराया रोडवेज के पास आता है और बसों के आपरेटर को रोडवेज प्रति किमी भुगतान करता है। नई बसों के अनुबंध में पूरी सेवा निजी कंपनी के हाथ में रहेगी। चूंकि, राज्य सरकार ने रोडवेज में हड़ताल के लिए छह माह की एस्मा लगाई हुई, इसलिए रोडवेज कर्मचारी खुलकर इसके विरोध में भी नहीं उतर सकते।

Mankhi Ki Kalam se

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