उत्तराखंड में सरकारी डॉक्टरों का 11 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन शुरू
देहरादून। प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के सभी सदस्य चिकित्सकों ने आज सभी कार्यालयों और सभी 13 जनपदों के सभी चिकित्सालयों में अपनी 11 सूत्रीय मांगों के लिए काली पट्टी बांधकर कार्य किया और धरना प्रदर्शन आयोजित किए। आगामी 30 अगस्त से डॉक्टरों ने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।
प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के अध्यक्ष मनोज वर्मा ने कहा हम सभी चिकित्सकों को अपनी जिम्मेदारियों और राज्य की परिस्थितियों का पूरा एहसास है। जिस कारण हम लोग कार्य बहिष्कार से बचते हुए शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों से लड़ रहे हैं। विगत लगभग ढाई साल से हम कोविड से पूरे समर्पण से लड़े हैं। अपने सभी कर्तव्यों को पूर्ण समर्पण से पूरा किया है परंतु उसके बाद भी हमसे सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। यहां तक की सामान्य कार्यालय प्रक्रिया को भी लटकाया जा रहा है, मनमाने ढंग से फैसले लिए जा रहे हैं अब हम सभी चिकित्सकों के सब्र की इन्तेहा हो चुकी है।
अध्यक्ष मनोज वर्मा ने कहा हम सभी लगातार मांग पत्र देते रहे वार्ता करते रहे परंतु हमारी एक नहीं सुनी गई । यहां तक की संविदा चिकित्सकों को सुगम से हटाया जाएगा इस पर सहमति भी बनी परंतु शासनादेश का लगातार उल्लंघन करते हुए संविदा चिकित्सकों को सुगम की तैनाती दी जाती रही, मेरा सभी अधिकारियों से सवाल है कि क्या अपने कभी नहीं सोचा कि आप अपने दूरस्थ क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे चिकित्सकों का लगातार अहित कर रहे हैं। हम सभी उक्त संविदा चिकित्सकों द्वारा किए जा रहे कार्यों ओपीडी ,आईपीडी इमरजेंसी ,आईसीयू ,सर्जरी ,वीआईपी ड्यूटी ,पोस्टमार्टम ड्यूटी का भी पूरा विवरण चाहते हैं
स्वास्थ्य विभाग में निदेशक के 3 पद, अपर निदेशक के 13 पद, संयुक्त निदेशक के 34 पद, लगभग 6 माह से अधिक समय से रिक्त चल रहे हैं। परंतु डीपीसी नहीं की जा रही है जबकि मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री से कई बार सख्त निर्देश दे चुके हैं तथा अन्य सभी विभागों में समय पर डीपीसी कर भी दी गई है।