जानिये डांडा मंडल पब्लिक जूनियर हाई स्कूल किमसार से जनता इंटर कॉलेज किमसार बनने का सफऱ

जानिये  डांडा मंडल  पब्लिक जूनियर हाई स्कूल किमसार से जनता इंटर  कॉलेज किमसार बनने का सफऱ
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यमकेश्वर : आज के समय जँहा छात्र संख्या कम होने से बने हुए विद्यालयों का संचालन बंद हो गया हैं और बहुत से बंद होने कि अंतिम स्तिथि में हैं, और बहुत से इंटर कॉलेज अपने अस्तित्व को बचाने कि जहदोजहाद में लगे हैं, आज के समय संसाधन हैं, सरकारी स्तर पर भी अनेको प्रलोभनकारी योजनाओं का संचालक किया जा रहा हैं जिसमे निशुल्क शिक्षा, मध्याहन भोजन निशुल्क किताबें दी जा रही हैं, किन्तु उसके बाद भी सरकारी यार अशासकीय विद्यालयों में दिन प्रतिदिन छात्र संख्या घटती जा रही हैं, और आज से 60से 100 दशक पूर्व जनसंघर्ष और श्रमदान से बने विद्यालयों का अस्तित्व खतरे में हैं।

पिछली कड़ी में  यमकेश्वर इंटर कॉलेज का इतिहास लिखा था, आज श्रृंखला को को बढ़ाते हुए इंटर कॉलेज किमसार के निर्माण का इतिहास बताने जा रहे हैं।

जनता इंटर कॉलेज़ का संक्षिप्त परिचयः डांडामंडल जनता इंटर कॉलेज का प्रारम्भिक नाम डांडामंडल पब्लिक जूनियर हाई स्कूल किमसार था, 1960 से किये जा रहे प्रयासो के बाद 1964 में जिला परिषद बोर्ड द्वारा अस्थायी मान्यता दी गई हैं और 1965 में स्थाई मान्यता मिल गई। सन जुलाई 1964 में कक्षा 6 से 8 तक कि कक्षाएं प्रारम्भ हो गई। ठीक आठ साल के सफऱ के बाद जुलाई 1974 में कक्षा 9 वी का संचालन और इसी वर्ष अक्टूबर 1974 में इलाहाबाद माध्यमिक शिक्षा ने हाईस्कूल के रूप में मान्यता मिली। इसी तरह 7 साल के बाद 1981 में इंटरमीडिएट कॉलेज कि मान्यता और अशासकीय विद्यालय के रूप में डांडमांडल जनता इंटर कॉलेज के रूप में विद्यमान है।

जनता इंटर कॉलेज किमसार का निर्माण : किमसार में उस समय प्राइमरी स्कूल जो कि 1923-24 में स्थापित है जिसका शताब्दी वर्ष चल रहा है विद्यमान था, लेकिन आगे पढ़ने के लिए चमकोट, भृगुखाल या अन्य शहरों में जाना पड़ता था, चमकोट उस समय बोर्डिंग स्कूल था, यँहा के छात्रों को रात्रि में वंहा रुकना पड़ता था, किमसार रामजीवाला के स्थानीय निवासी श्री घनश्याम प्रसाद कंडवाल, श्री हरि कृष्ण कंडवाल श्री दर्शनलाल कंडवाल, श्री गोपाल दत्त शुक्ला, श्री गोविंद सिंह (बुटोला) नेगी, रणजीत सिंह नेगी ( सुबेदार ) श्री मनोहर सिंह “उदयपुरी” आदि के द्वारा किमसार में ही जूनियर हाई स्कूल खोलने के लिए गोष्टी कि गई। गोष्ठी में विचार किया गया क्यों ना हम अपने यँहा पर ही विद्यालय का निर्माण करें, श्री दर्शनलाल कंडवाल और श्री घनश्याम प्रसाद कंडवाल को जिला शिक्षा बोर्ड से मान्यता लेने सम्बन्धी जिम्मेदारी दी गई और श्री हरि कृष्ण कंडवाल, श्री चिंरजीव कण्डवाल, और महीधर प्रसाद कण्डवाल तीनों भाईयों ने अपनी भूमि विद्यालय निर्माण के लिए दान देने कि घोषणा की। श्री घनश्याम दत्त कण्डवाल उस समय किमसार गॉव के प्रधान थे, उनकी भूमिका इस विद्यालय के निर्माण में महत्वपूर्ण थी और विद्यालय के प्रथम अध्यक्ष पद पर लम्बे समय तक रहे । श्री दर्शनलाल कण्डवाल को पहले प्रबन्धक सर्वसम्मति से चुने गये, जो लम्बे समय तक प्रबंधक रहे, साथ ही वह जिला परिषद बोर्ड के अधिकारियों के निरीक्षण पर आने पर सारी व्यवस्थायें विद्यालय से सबंधित समस्त दस्तावेंजों का संकलन करते थे,उनको सहयोग देने वाले श्री रणजीत सिंह नेगी, श्री गोविंद सिंह नेगी जी थे, गोपाल दत्त शुक्ला प्रमुख रणनीतिकारों में गिने जाते थे।

जुलाई माह में कक्षा में किमसार स्कूल से पाँचवी पास विद्यार्थियों को प्रवेश दिला दिया। श्री रमेश चंद्र शुक्ला पूर्व प्रधानाचार्य चमकोट खाल ग्राम रामजीवाला बताते है की जुलाई के लगभग पहले सप्ताह में प्राथमिक विद्यालय के किमसार में बैठक का आयोजन किया गया और ज़ब तक विद्यालय का निर्माण नहीं होता प्राथमिक विद्यालय के प्रांगण में और खाली जगह पर झोपडी बनाकर कक्षा संचालन का निर्णय लिया गया, उस समय श्री रमेश चंद्र शुक्ला हाईस्कूल पास थे उन्हें अध्यापन की जिम्मेदारी दी गई, श्री तोता राम बडोनी जी को हेड मास्टर नियुक्त किया गया किन्तु वह तीन दिन तक ही रहे, उसके बाद वह यमकेश्वर जूनियर हाई स्कूल में चले गये।

अभी समस्या विद्यालय संचालन के लिए हेड मास्टर की नियुक्ति की थी तब धारकोट के श्री सुरेन्द्र दत्त मारवाड़ी जी जो दिउली स्कूल में कार्यरत थे उन्हें बैठक में बुलाया गया और उनसे कार्यभार ग्रहण करने को कहा गया, उन्होंने एक पत्र लिखा और उसी समय प्रस्ताव पारित करवाकर उन्हें हेड मास्टर नियुक्त कर दिया गया। श्री शुक्ला जी बताते है की उन दिनों उनको 65 रुपये मासिक मानदेय मिलता था। तब उसके बाद श्री जगत सिंह रावत, ब्रह्मा नन्द शुक्ला जी भी आ गये, श्री रमेश चंद्र शुक्ला ने अपनी 8 वर्षो तक अध्यापन कार्य करवाया उसके बाद  अपनी आगे की पढ़ाई के लिए बाहर चले गए।

श्री सुरेंद्र दत्त मारवाड़ी जी और प्राथमिक विद्यालय के हेड मास्टर श्री सोहन लाल कंडवाल ग्राम देवराना दोनों में घनीष्टता थी, दो साल तक स्कूल प्राथमिक विद्यालय में संचालित होता रहा, ज़ब तक विद्यालय भवन का निर्माण नहीं हुआ।

जनता इंटर कॉलेज के वर्तमान प्रबंधक श्री चंदन सिंह बिष्ट बताते हैं की उस दौरान वह चमकोट खाल में आठवीं के विद्यार्थी थे और तब उनकी रातो रात टीसी कटवाकर लायी गई और तब उनका प्रवेश किमसार में हुआ। श्री सुरेन्द्र दत्त मारवाड़ी जी स्वयं चमकोट जाकर स्थानीय 7 वी और आठवीं में पढ़ने वाले सभी छात्रों की टीसी कटवाकर ले आये थे।

विद्यालय भवन का निर्माण कार्य : जुलाई 1964 में विद्यालय का संचालन शुरू हो गया, एक साल की अस्थायी मान्यता जिला शिक्षा बोर्ड ने दे दी, अभी सवाल यह था की विद्यालय का निर्माण कैसे होगा, जगह का चयन कँहा पर किया जाय इस पर मंथन शुरू हो गया, किमसार गाँव के श्री हरिकृष्ण कंडवाल और उनके परिवार जनो ने कहा की वह अपनी जमीन दान दे दे देंगे, जमीन का चयन वहीं पर हुआ जँहा स्थानीय भवन है, किंतु वह जमीन किसी काशत्कार को खैकर व्यवस्था के लिए दे रखी थी, उस पर विवाद हो गया, अंतोगत्वा बड़े बुजुर्गो के द्वारा समझाने पर विवाद निपटा दिया गया, इस तरह से जमीन विद्यालय को मिल गई। हालांकि कुछ लोगों के द्वारा किमसार में विद्यालय खुलने पर विरोध जारी रहा, लेकिन समयानुसार उन्होंने शिक्षा के महत्व को समझते हुए विरोध करना बंद कर दिया। 1966-67 में भवन निर्माण कार्य पूर्ण हुआ।

विद्यालय निर्माण के लिए राजमिस्त्री पाठ तिमली से बुलाये गये, स्वयं सुरेंद्र दत्त मारवाड़ी जी स्वयं और कभी कभी अध्यापको को श्रमदान करने वाले स्थानीय व्यक्तियों के साथ पत्थर तोड़ने थूपुलढूंग तो कभी उलेला सतीर लेने और टांडी भंवासी से पटले लेने के लिए जाते थे। उस दौर में डांडामंडल में सड़क नहीं थी तब बाजार से लाये हुए सामान को लेने कंडरह मंडी आते थे, और सर पर चद्दर स्थानीय निवासियों के द्वारा किया गया, श्रमदान में गाँव के लोगो का स्वेच्छा से श्रमदान करने का नम्बर के हिसाब से लगाते था, जिसमे किमसार मल्ला बनास, जोगियाना, रामजीवाला, धारकोट मरोड़ा, भूमियाकिसार, कसाण, तल्ला बनास के निवासियों के द्वारा किया जाता था।

किमसार और रामजीवाला आदि गाँव के संभ्रांत लोगो द्वारा चंदा एकत्रित किया जाता था। किमसार गाँव के ठेकेदार श्री दर्शनलाल कंडवाल, जँहा भी जाते वह वंहा से चंदा एकत्रित करके लाते थे। चंदा एकत्रित करने का एक रोचक किस्सा है, स्थानीय लोग बताते हैँ कि होली के दिन रामजीवाला निवासी श्री विशन दत्त ( रेशम लाल ) कुकरेती ने जोकर का रूप धारण कर नबाब के रूप में मुँह पर काला रंग लगाकर घोड़े में उल्टे बैठकर मनोरंजन के लिए गाँव गाँव में घूमे और स्कूल के लिए चंदा माँगा, इस तरह से अलग अलग तरीके से चंदा एकत्रित किया गया, कुछ समय तक रामलीला का आयोजन किया उसमें दान के रूप में एकत्रित धनराशि को विद्यालय को चंदे के रूप दे दिया गया। इण्टर की मान्यता मिलने के बाद इण्टर की कक्षाओं के निर्माण के लिए श्री दर्शनलाल कण्डवाल तत्कालीन प्रघानाचार्य श्री काशीराम झिल्डीयाल जी के यात्रा पर उड़ीसा बंगाल बिहार आदि राज्यों में गये, वहॉ से चंदे के रूप मेंं काफी धनराशि एकत्रित करके लाये, जिससे विद्यालय के कक्षों के निर्माण में काफी मदद मिली। इंटर कॉलेज किमसार के पहले प्रधानाचार्य पड़ पर पहली नियुक्ति श्री जय किशोर शर्मा कि हुई लेकिन उन्हें ग्रामीण आँचल पसंद नहीं आया और एक माह से पूर्व ही सेवा मुक्त होकर अन्यत्र चले गए, उसके बाद सर्वलोक प्रिय श्री काशीराम झिल्डीयाल जी कि नियुक्ति बतौर प्रधानाचार्य हुई, और उन्होने यँहा पर अपनी लंबी सेवायें दी।

डांडामण्डल जनता इण्टर कॉलेज किमसार स्कूल में जिन प्रबन्धकों को नामित किया गया उनमें स्व0 दर्शनलाल कण्डवाल, स्व चन्दन सिंह  रावत, स्वo गोवर्धन प्रसाद कुकरेती स्व कमल सिंह रावत, स्व वंशीधर  कंडवाल,स्व दयाशंकर भट्ट, स्व0 पुरूषोत्तम कण्डवाल, स्व0 बचन सिंह रावत, श्री बचन बिष्ट, श्री जयकृष्ण कण्डवाल, श्री आलम सिंह रावत और वर्तमान में श्री चंदन सिंह बिष्ट प्रबन्धक तथा के रूप में अपनी सेवायें दे रहे हैं। वहीँ प्रथम अध्यक्ष श्री घनश्याम प्रसाद कंडवाल, श्री मनोहर सिंह रावत उदयपुरी, श्री अनुसूया प्रसाद कंडवाल, श्री दया शंकर भट्ट, श्री वीर बंधु बिष्ट श्री बचन बिष्ट आदि रहे। वर्तमान में सुभाष चंद्र शुक्ला अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हैँ।

इण्टर कॉलेज किमसार में जिन अध्यापकों के द्वारा अपनी सेवायें दी गयी उनमें श्री सुरेन्द्र दत्त मारवाड़ी प्रथम प्रधानाध्यापक, श्री जगत सिंह रावत, श्री ब्रहानंद शुक्ला, श्री गिरधारी लाल अमोली, श्री मनोज डबराल, श्री सुरेन्द्र दत्त देवलियाल, आनंद सिंह नयाल, श्री हरि सिंह चौधरी, श्री आलम सिंह राणा, श्री रोशनलाल जोशी श्री रमेश चन्द्र शर्मा , श्री सतेन्द्र खत्री, श्री धर्मवीर सिंह पासी जो कि वर्तमान में प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत हैं। इसके साथ ही समय समय पर पीटीए के रूप में अन्य अध्यापक भी कार्यरत रहे।

इण्टर कॉलेज किमसार की वर्तमान स्थितिः विद्यालय के निर्माण वर्ष 1964 से आज पूरे 59 साल पूर्ण होने वाले हैं, विद्यालय को इण्टर की मान्यता, सन् 1981 में प्राप्त हुई और अशासकीय रूप में अस्तित्व में आया किंतु आज तक विद्यालय को विज्ञान संकाय की सवित्त मान्यता नहीं मिल पायी है। एक समय जहॉ यहॉ विद्यालय में गंगा भोगपुर से लेकर तिमल्याणी, मैदान, कोटा, तालघाटी तक के विद्यार्थी अध्ययन करने आते थे और 500 से 600 विद्यार्थी पढते थे, आज इस विद्यालय में ना तो अध्यापक नियुक्त हैं, और छात्र संख्या सिमट कर 150-200 के बीच रह गयी है, जो कि दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है।

इण्टर कॉलेज किमसार के प्रधानाचार्य, श्री धर्मवीर सिंह पासी और प्रबन्धक श्री चंदन सिंह बिष्ट का कहना है कि विद्यालय के राजकीयकरण और विज्ञान संवर्ग के सवित्त मान्यता लेने का प्रयास किया जा रहा है।

हरीश कंडवाल “मनखी” कि कलम से।

Mankhi Ki Kalam se

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