उत्तराखंड का मैसी हेमराज जौहरी, कॉर्नर किक ने मचाया ऐसा धमाल की सीएम धामी भी हुए फैन

उत्तराखंड का मैसी हेमराज जौहरी, कॉर्नर किक ने मचाया ऐसा धमाल की सीएम धामी भी हुए फैन
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मुनस्यारी। 67 वें जोहार खेलोत्सव में पांच जून को मुनस्यारी ब्वायज और बर्निया गांव के बीच खेला जा रहा था। हेमराज ने एक बाद एक करके पांच गोल किए, लेकिन उन्होंने चौथा गोल जो किया उसने उन्हें इंटरनेट की दुनिया में प्रसिद्ध कर दिया है। कॉर्नर मिलने पर हेमराज गोल इस खूबी के साथ दागा कि गोल पोस्ट के पास पहुंचते ही फुटबॉल हवा में लेफ्ट टर्न लेती हुई गोल पोस्ट के भीतर चली गई।

मुनस्यारी के हेमराज जौहरी ने एक मैच के दौरान कॉर्नर किक से फुटबाल सीधे गोलपोस्ट में डाल दी और देखते ही देखते इस गोल का वीडियो वायरल हो गया। लोग उसे उत्तराखंड का मैसी बोलने लगे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस वीडियो को पोस्ट किया और हेमराज की प्रतिभा को सराहा है। हेमराज वर्तमान में दून के महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में पढ़ते हैं और वह पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी तहसील के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखते हैं। बेहद गरीब परिवार में जन्में हेमराज के पिता दुर्गाराम सिलाई का काम करते हैं, जबकि मां पुष्पा देवी गृहणी हैं।

हेमराज की टीम मुनस्यारी ब्वायज ने यह मैच 9-0 से जीता। हेमराज मुनस्यारी तहसील के ग्राम सभा जोशा गांधीनगर गांव के रहने वाले हैं। हेमराज पांच भाई बहन हैं। दो बहनों की शादी हो चुकी है, जबकि दो अभी पढ़ रही हैं। हेमराज ने अभी तक चार नेशनल सब जूनियर गेम (2 सुब्रतो एवं 2 स्कूल नेशनल) खेले हैं। हेमराज से जब वायरल वीडियो के बारे में और सीएम के ट्वीट के बारे में बताया गया तो उन्होंने सीएम से गुजारिश की है कि भविष्य में गांधीनगर में एक खेल मैदान दें ताकि गरीब परिवार के बच्चे अपनी प्रतिभा को निखारने के साथ ही प्रदेश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सकें। वर्ष 1940 के दौरान खीम सिंह सौन, भैरव जंग थापा और त्रिलोक बसेड़ा समेत अन्य लोगों ने मिलकर एक फुटबाल टीम बनाई थी, जिसका नाम स्टेशन टीम था। उस समय शहर की यह पहली फुटबाल टीम थी। फुटबाल के शुरूआती मुकाबले स्टेशन टीम हाईस्कूल टीम के बीच हुआ करते थे।

हाईस्कूल टीम जार्ज कारोनेशन हाईस्कूल की टीम को कहा जाता था। पिथौरागढ़ में फुटबाल का क्रेज अब भी बदस्तूर जारी है और कई नामी खिलाड़ी भी यहां से हैं। लेकिन प्रदेश स्तर और फुटबाल एसोसिएशन से पर्याप्त मदद और अवसर नहीं मिलने की वजह से प्रतिभाएं असमय ही दम तोड़ देती हैं।

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