राष्ट्रपति नहीं, राष्ट्राध्यक्ष बोलें
वेद प्रताप वैदिक
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति की जगह ‘राष्ट्रपत्नी’ शब्द बोलकर तूफान-सा खड़ा कर लिया है। यह शब्द उन्होंने कल संसद के बाहर कहीं बोल दिया था। भाजपा के कई स्थानीय नेता और कार्यकर्ता देश में जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं और कह रहे हैं कि यह नई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अपमान है। इसे वह बर्दाश्त नहीं करेंगे। संसद की कार्रवाई भी इस मुद्दे को लेकर ठप्प हो गई है।
भाजपा के मंत्री और सांसद आग्रह कर रहे हैं कि अधीर रंजन संसद में माफी मांगे। अधीर रंजन का कहना है कि वे भाजपाइयों से माफी क्यों मांगें? कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि उन्होंने पहले ही राष्ट्रपति से माफी मांग ली है। उनकी जुबान फिसल जाने का उन्हें दुख है। वे बंगाली है। उन्हें हिंदी ठीक से नहीं आती। यह तर्क तो कमजोर है। क्या कोई बंगाली कह सकता है कि वह पति और पत्नी शब्दों में अंतर करना नहीं जानता? वैसे अधीर रंजन इस तरह की गल्तियां करने के लिए पहले से जाने जाते हैं।
उन्होंने नरेंद्र मोदी को एक बार ‘गंदी नाली’ की उपमा दे दी थी। उन्होंने कश्मीर को भारत का सिर्फ भौगोलिक हिस्सा बता दिया था। उन्होंने पं. बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को ‘पागल’ तक कह दिया था। उम्मीद है कि भाजपाइयों का यह क्रोध-प्रदर्शन उन्हें अब अधीर रंजन से सुधीर रंजन बना देगा। लेकिन इस विवाद ने मेरी एक पुरानी दुखती रग पर उंगली रख दी है।
पचासों वर्षों पहले मैं सोचता रहता था कि यदि कोई महिला हमारे देश के इस सर्वोच्च पद पर पहुंचेगी तो क्या उसे भी हम ‘राष्ट्रपति’ ही कहेंगे? तब मुझे लगता था कि इस शब्द का कोई विकल्प ढूंढना चाहिए वरना बड़ी हास्यास्पद स्थिति पैदा हो जाएगी। तब मेरे दिमाग में जो वैकल्पिक शब्द आया, वह था- राष्ट्राध्यक्ष! यदि कोई महिला इस पद पर चुनी गई तो उसे हम ‘राष्ट्राध्यक्षा’ आसानी से कह सकते हैं।
लेकिन अपना देश तो अंग्रेजी का गुलाम है। उसमें ‘प्रेजिडेंट’ शब्द का प्रयोग किसी भी महिला या पुरुष या दोनों के लिए हो सकता है तो अंग्रेजी के ‘प्रेजिडेंट’ का हिंदी अनुवाद ‘राष्ट्रपति’ भी दोनों पर थोपा जा सकता है। मेरी राय में यह गलत है। ‘राष्ट्रपत्नी’ शब्द को आपत्तिजनक बताकर हम क्या भारत के महिला समाज का अपमान नहीं कर रहे हैं?