ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा भवन में आयोजित होगा विधानसभा का अगला सत्र

ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा भवन में आयोजित होगा विधानसभा का अगला सत्र
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देहरादून। विधानसभा का अगला सत्र ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा भवन में आयोजित होगा।बुधवार को सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि सरकार गैरसैंण और भराड़ीसैंण के विकास के लिए गंभीर व वचनबद्ध है। बुधवार को कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने सदन में ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण का विषय उठाया।उन्होंने कहा कि राज्य गठन के बाद सभी का सपना था कि राजधानी गैरसैंण हो, मगर राज्य को अस्थायी राजधानी देहरादून का तोहफा मिला। गैरसैंण में कांग्रेस सरकार के समय में पहली बार कैबिनेट हुई।

टैंट में पहला सत्र कराकर इस दिशा में कदम बढ़ाए गए। मार्च 2020 में गैरसैंण में हुए सत्र में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने गैरसैंण को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा की। इसके बाद एक दिन भी सरकार ने इसका संज्ञान नहीं लिया। यह जरूर हुआ कि यहां 15 अगस्त और 26 जनवरी को केवल ध्वजारोहण कार्यक्रम आयोजित कर इतिश्री कर ली जाती है। इस बार यहां बजट सत्र आयोजित कराने की बात कही गई थी, लेकिन चारधाम यात्रा का हवाला देते हुए सत्र नहीं कराया गया। चारधाम यात्रा हर वर्ष चलेगी, ऐसे में क्या यहां ग्रीष्मकाल में सत्र आहूत नहीं किया जाएगा।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा करते हुए यहां के लिए 2500 करोड़ रुपये की घोषणा की थी। सरकार यह भी बताए कि क्या इस राशि का प्रविधान इस बजट में किया गया या नहीं। सरकार की ओर से इसका जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि आंदोलनकारियों की भावना थी कि ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण हो। यही कारण रहा कि पहली बार गैरसैंण के भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा भवन में 15 अगस्त 2017 को ध्वज फहराया गया। तब से लेकर भराड़ीसैंण में 26 जनवरी, राज्य स्थापना दिवस और 15 अगस्त का पर्व मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार गैरसैंण के विकास के प्रति गंभीर है। उन्होंने सदन में घोषणा की कि आगामी सत्र गैरसैंण में होगा।
ग्रीष्मकालीन राजधानी में सत्र को लेकर हुई चर्चा में राज्य आंदोलन का भी पक्ष और विपक्ष की ओर जिक्र किया गया। साथ ही राज्य गठन के दौरान एक-दूसरे की भूमिका पर कटाक्ष भी हुए। सदन के भीतर चर्चा के दौरान कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने सौरभ बहुगुणा को साकेत कह कर संबोधित किया। इस पर कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि अंकल, मैं सौरभ हूं। इस पर पीठ ने कहा कि यह सदन है, यहां अंकल शब्द नहीं चलेगा। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला। इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक सीधे एक-दूसरे पर कटाक्ष करने लगे।

Mankhi Ki Kalam se

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