दिल्ली। बहादुरगढ़ निलवाल गांव स्थित राघास्वामी आश्रम में सत्संग वचन कंवर साहेब महाराज द्वारा दुनिया में बड़ रही अशांति के लिए शांति की प्रार्थना की, मौका था हर वर्ष होने वाले दशहरे के समागम समाहरों का, कहा रामायण हमें जीवन का हर मर्म समझाती है जो भक्ति और सेवा का मार्ग दिखाती है। श्री राम की यह कथा हमें बताती है कि शांति और अहिंसा की राह पर चलने वालो के काम कैसे आसानी से संवरते हैं। दशहरे का त्यौहार हमें बुरे से अच्छे की और लेकर जाता है, चाहे कबीर साहब हों या नानक साहब, परवेश तबरेज हो या दयानन्द सरस्वती।
सब को इस दुनियादारी ने कष्ट दिए लेकिन वो अपने पथ से विमुख नहीं हुए। वो अपने मिशन पर अडिग रहे इसीलिए उनके दिखाए मार्ग पर आज भी दुनिया चल रही है। उन्होंने कहा कि रामायण में सबरी का राम के दर्शन का संकल्प था। उनका संकल्प ही श्री राम को उसकी कुटिया पर ले आया। वैसे ही आपके द्वारा की गई अच्छाई आपको दुगुने चौगुने रूप में वापिस मिलती है। महापुरुषो की संगत करने से, उनके वचन सुनने से, आपके कर्म सुधरते हैं, लेकिन होगा तभी जब आपका विश्वास दृढ़ होगा। कहा रामायण से फायदा तभी होगा जब राम के चरित्र को आत्मसाध किया जाए। पहले ऋषि महात्मा संतान को एक विशेष ध्येय से पैदा करते थे. लेकिन आज संतानोत्पति का उदेश्य का अंदाज़ा विश्व में फैली अशांति और सामाजिक कुसंगतियों से लगाया जा सकता है। कहा आज विजयदशमी का शुभ दिन है इसलिए आज आप ये संकल्प लेकर जाओ कि आज आप अपने मन से सभी बुराइयों का दहन करके जाओ।
संकल्प लेकर जाओ की राम की भांति अच्छे पुत्र बनोगे। लक्ष्मण और भरत जैसे भाई बनोगे। विभीषण जैसे संत के साथी बनोगे। माता सीता जैसे सती बनोगे। इस अवसर पर देश दुनिया से राघास्वामी आश्रम में आये करीब बीस हज़ार अनुयाइयों को कंवर साहेब महाराज द्वारा विश्व शांति के लिए प्रार्थना करवाई और दुनिया को बुराई पर अच्छाई की विजय का सन्देश दिया। आपको बता दें कि राधा स्वामी सत्संग दिनोद की स्थापना शिव दयाल सिंह ने जनवरी 1861 में बसंत-पंचमी के दिन पर की थी। दिनोद में राधा स्वामी सत्संग की स्थापना ताराचंद ने की थी. तब से यह राधा स्वामी संप्रदाय को बढ़ावा देता है।