धामी सरकार की यूके.एस.एस.एस.सी भर्ती घोटाले में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई, 3 बड़े अफसर गिरफ़्तार, सीएम बोले दोषी कितना भी बड़ा क्यों न हो छोड़ा नहीं जाएगा…..
धामी सरकार की यूके.एस.एस.एस.सी भर्ती घोटाले में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई, 3 बड़े अफसर गिरफ़्तार, सीएम बोले दोषी कितना भी बड़ा क्यों न हो छोड़ा नहीं जाएगा…..
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के जीरो टॉलरेंस के सिद्धांत का पालन करते हुए उत्तराखंड एसटीएफ़ ने भर्ती घोटाले प्रकरण में बड़ी कार्रवाई की है। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से 2016 में कराई गई वीपीडीओ भर्ती परीक्षा में धांधली की जांच में आज शनिवार को आरबीएस रावत पूर्व चेयरमैन, सचिव मनोहर कन्याल और पूर्व परीक्षा नियंत्रक आरएस पोखरिया को गिरफ़्तार कर लिया गया है।
आरबीएस रावत पूर्व पीसीसीएफ भी रहे हैं। साथ ही तीरथ रावत सरकार में सलाहकार बनाए गए थे। भर्ती परीक्षा मामले में यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। 2016 के मामले में लंबे समय से जांच चल रही थी, लेकिन सीएम धामी के कड़े रुख के बाद जांच एजेंसियों ने भी तेज़ी दिखाई। इस क्रम में वीपीडीओ भर्ती में छह वर्ष बाद कार्रवाई की गई।
मुख्यमंत्री धामी ने एसटीएफ की कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा कि जांच एजेंसियां पूरी निष्पक्षता से अपना काम कर रही हैं। उत्तराखंड के युवा का हक़ मारने वाले किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा। सरकार ये सुनिश्चित कर रही है कि भविष्य की सभी भर्ती परीक्षाएँ स्वच्छ और पारदर्शी हो। उन्होंने कहा कि आज की कार्रवाई इस बात की मिसाल है कि भविष्य में कोई इन परीक्षाओं में गड़बड़ी करने की हिम्मत न कर सके ।
कब हुई भर्तियां
– उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा 6 मार्च 2016 को ग्राम पंचायत विकास अधिकारी चयन परीक्षा करवाई गई।
– उक्त परीक्षा 6 मार्च 2016 को समस्त 13 जनपदों के 236 परीक्षा केंद्रों में संचालित की गई थी।
-परीक्षा में कुल 87196 परीक्षार्थियों द्वारा प्रतियोगी परीक्षा में भाग लिया गया था।
-30 मार्च 2016 को परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया था।
जांच समिति गठित
-परीक्षा में धांधली के मद्देनजर विभिन्न शिकायतों के आधार पर उत्तराखंड शासन द्वारा तत्कालीन अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जांच समिति वर्ष 2017 में गठित की गई थी।
-जांच समिति द्वारा प्रेषित आख्या के आधार पर परीक्षा में अनियमितताओं की पुष्टि होने के कारण उक्त परीक्षा परिणाम को निरस्त किया गया।
– वर्ष 2019 में सचिव कार्मिक एवं सतर्कता अनुभाग के निर्देशानुसार उक्त परीक्षा में हुई अनियमितताओं के संबंध में जांच सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर देहरादून को प्राप्त हुई।
-वर्ष 2020 में सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर देहरादून द्वारा खुली जांच में पुष्टि होने पर उक्त परीक्षा में हुई अनियमितताओं की पुष्टि होने पर सतर्कता अधिष्ठान देहरादून में मुकदमा दर्ज कराया गया।
– अभियोग पंजीकृत होने के बाद वर्ष 2020 से वर्ष 2022 तक उक्त प्रकरण की विवेचना सतर्कता अधिष्ठान देहरादून द्वारा की जा रही थी।
-वर्ष 2022 माह अगस्त में मुख्यमंत्री के निर्देश अनुसार उक्त प्रकरण की विवेचना एसटीएफ को स्थानांतरित हुई।
-एसटीएफ द्वारा विवेचना को आगे बढ़ाते हुए साक्ष्य संकलन की कार्रवाई की गई।
-पूर्व में जांच कमेटी द्वारा उक्त परीक्षा से संबंधित ओएमआर शीट को थ्ैस् भेजा गया था एवं थ्ैस् से उक्त व्डत् शीट में छेड़छाड़ होने की पुष्टि हुई थी।
-विवेचना के दौरान यह भी पाया गया कि उक्त परीक्षा से संबंधित ओएमआर स्कैनिंग / फाइनल रिजल्ट बनाए जाने का का कार्य तत्कालीन सचिव मनोहर सिंह कन्याल के घर पर हुआ था।
-विवेचना के दौरान अभी तक दो दर्जन से अधिक अभ्यर्थी चिन्हित किए गए हैं और उनके बयान एसटीएफ द्वारा दर्ज किए गए।
-विवेचना के दौरान कई अहम गवाहों के बयान न्यायालय में भी कराए जा चुके हैं जो केस की अहम साक्ष्य है।
-विवेचना के दौरान पूर्व में तीन अभियुक्त 1 मुकेश कुमार शर्मा 2 मुकेश कुमार 3 राजेश पाल को एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका है।