यमकेश्वर क्षेत्र में गॉवों की सड़क और पुल निर्माण के लिए नहीं मिल पाती है विभागीय स्वीकृति, जबकि रिजॉर्ट और होटलों तक आसानी से पहॅुच जाती हैं सडकें

यमकेश्वर क्षेत्र में गॉवों की सड़क और पुल निर्माण के लिए नहीं मिल पाती है विभागीय स्वीकृति, जबकि रिजॉर्ट और होटलों तक आसानी से पहॅुच जाती हैं सडकें
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यमकेश्वरः यमकेश्वर क्षेत्र में जिस तरह से रिर्साट और होटल गेस्ट हाउस बने हैं, लोगों से दूर दराज की जमीन खरीद कर यहॉ पर रिसॉर्ट आदि का निर्माण धड़ल्ले से हुआ है, इन रिसॉर्ट में पहुॅचने के लिए सड़क का निर्माण भी आसानी से हो गया है। कई जगह इन रिसॉर्ट के कारण गॉवों में सड़क बनाने में अड़चने आ रही हैं। डांडामण्डल क्षेत्र को जोडने वाली सड़क जो कि पार्क के अधीन हैं, उसे बनाने में पार्क के नियम आड़े आ जाते हैं, जबकि उसी गंगा भोगपुर में इन पार्को में खुले आम रिसॉर्ट का संचालन हो रहा है, वहॉ जाने के लिए सड़के भी बनी हुई हैं, इसी तरह से डांडामण्डल जाते हुए लोहासिद्ध से आगे मुख्य सड़क से आगे जहॉ पर नव निर्माण हो रहा है, वहॉ पर जगह जगह पहा़ड़ को चीरकर सड़कों का निर्माण किया गया है, इन सड़कों की अनुमति कब और कैसे मिली यह सब सोचनीय विषय है।
वहीं तालघाटी और त्याड़ों घाटी में सड़क की मॉग स्थानीय निवासी बरसों से करते आ रहे हैं,लेकिन विभागीय सुस्ती का आलम यह है कि विभागीय स्वीकृति देने मे वन व पार्क विभाग की अड़चने सामने आ जाती हैं, जबकि बुकण्डी ग्राम सभा में अनेकों रिर्जाट में बुल्डोजर और जेसीबी मशीनों से रिसॉर्ट संचालकों के द्वारा पहाडी और कैसरीन जमीन को काटकर सड़कों का निर्माण किया गया है। नौगांव बुकण्डी मोटर मार्ग का निर्माण में जिस तरह से अड़चने आयी और सड़क को लटकाया जा रहा था यह सबके सामने उदाहरण मौजूद है, जबकि इसी गॉव में आधे से अधिक जमीन में रिसॉर्ट बन गये हैं, वहॉ सड़के पहुॅच चुकी हैं, जो कि जॉच का विषय हैं, क्योंकि अधिकांश सड़के कैसरीन जमीन में बनी हुई हैं।

वर्ष 2010 से अभी तक लोकनिर्माण विभाग के द्वारा 14 किलोमीटर धारकोट जुलेड़ी मोटर का निर्माण नहीं हो पाया है, यहॉ पर त्याड़ो और तालघाटी में दो पुलों के निर्माण के लिए विभागीय स्वीकृति नहीं मिली है, जबकि बुकण्डी गा्रम सभा में त्याड़ो घाटी के पास नदी के ऊपर से स़डकों का निर्माण किया गया है, साथ ही त्याड़ों और ताल नदी में अवैध खनन जोरें पर चल रहा है, इन रिर्साट में भी त्याड़ो और तालघाटी में ट्रैक्टर ट्रॉली से धड़ल्ले से पत्थर और बजरी उठायी जा रही है।

स्थानीय निवासीयों का कहना है कि विभाग के द्वारा जब सड़कों और पुलों के लिए विभागीय स्वीकृति देने की मॉग की जाती है तो अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने में महीनों ही नहीं सालों लग जाते हैं। जबकि रिसॉर्ट मालिक धनबल के चलते रातों रात सड़क रिसॉर्ट में पहुॅचा देते हैं। यमकेश्वर के कई गॉवों में सड़क बनाने में रिसॉर्ट मालिकों द्वारा अड़चन पैदा की जा रही है, जिस कारण सड़क से बंचित लोग प्रशासन के सामने गुहार लगा रहे हैं।

ऐसे ही हाल हेवंल घाटी का भी है, जोगियाण गॉव आज भी सड़क की मॉग करता आ रहा है, वहीं हल्दोगी पटना के लोग भी स़ड़क की मॉग कर रहे हैं, किंतु विभागीय अड़चनों के कारण सड़कों का निर्माण नहीं हो पा रहा है, जबकि इन्ही गा्रम सभाओं में रिसॉर्ट मालिकों के द्वारा अपने रिसॉर्ट में सड़को ंको पहुॅचाया गया है। गैडखाल रोड़ पर इसी तरह के अनेकों रिसॉर्ट पहाड़ों में बने हुए हैं, इन सब रिसॉर्ट में आसानी से सड़क कटान की स्वीकृति मिलना मिलीभगत की और स्पष्ट संकेत कर रहे हैं।

Mankhi Ki Kalam se

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