यमकेश्वरः लॉकडाउन में 42 दिन के स्वप्रयासों और श्रमदान से बनायी गयी सड़क , आपदा की चपेट मेंं आने से पूरी तरह ध्वस्त, ग्रामीणों में हताशा और निराशा का माहौल
यमकेश्वरः यमकेश्वर में 20 अगस्त 2022 की आपदा का मंजर देखकर हर कोई सहम उठता है, लेकिन जिन लोगों ने इस आपदा में खोया है, उनके लिए तो 20 अगस्त की रात काली रात बनकर आयी। यमकेश्वर में अभी तक हालात जस के तस हैं, विद्युत व्यवस्था अभी पटरी में आयी है, किंतु पेयजल व्यवस्था के हालात अभी तक बहुत खराब हैं। वहीं सड़के सब जगह ध्वस्त हो चुकी है। गॉव जाने के सम्पर्क मार्ग टूट गये हैं।
यमकेश्वर के वीरकाटल गॉव ने इस बार आपदा का जो दंश झेला है, उससे वह अभी तक उभरे नहीं हैं। बूॅगा गॉव निवासी सुदेश भट्ट ने बताया कि वर्ष 2020 में जब लॉकडाउन के बाद प्रवासी लोग गॉव में थे उस दौरान मई जून की तपती गर्मी में मोहनचट्टी से वीरकाटल तक 42 दिन के श्रमदान से दुपहिया वाहन के लिए जो मार्ग बनाया था वह आपदा की भेंट चढ गया। उनका कहना है कि दुनिया के लिए यह मात्र एक खबर हो सकती है कि वीरकाटल सम्पर्क मार्ग से कटा, लेकिन वीरकाटल के ग्रामीणों के लिए तो यह अपना अस्तित्व खोने के समान है। लॉकडाउन के दौरान जब सारा देश घरों में बैठा था तब वीरकाटल के ग्रामीणों ने तपती गर्मी में भूखा प्यासा रहकर अपना सब काम छोड़कर इस सम्पर्क मार्ग को बनाया था। ग्रामीणों का कहना है कि सम्पर्क मार्ग बनने से उस समय भले ही हमारी मेहनत लगी थी, लेकिन हमें खुशी थी कि हमारे लिए सड़क न ही सही किंतु दुपहिया वाहन से आने जाने का एक रास्ता तो बन गया है, हमें उम्मीद थी कि जल्दी ही यह चौपहिया वाहन के लिए भी बन जायेगा।
किंतु प्रकृति को कुछ और ही मंजूर था, 20 अगस्त को हुई तबाही ने इस सम्पर्क मार्ग को भी लील लिया। भूस्खलन के कारण पूरा सम्पर्क मार्ग ध्वस्त हो गया, लोगों की उम्मीदें टूट गयी हैं। वहीं दूसरी ओर उनके लिए उनके द्वारा 52 दिनों में श्रमदान से बनायी गयी पुलिया सुरक्षित है,जो कि ग्रामीणों को ढांढस बंधा रही हैं। जबकि सरकार की बजट से बनायी बनायी गयी पुलिया पूरी तरह से घ्वस्त हो चुकी है। इस बार पूरे यमकेश्वर क्षेत्र ने इस बार आपदा की इस त्रासदी को झेला है, और आज भी आपदा के बाद के जो मंजर है, उसको देखकर हर कोई सहम उठता है।