जीरो टॉलरेंस :- घूसखोरी के मामले में सीएम धामी की बड़ी कार्रवाई, सीएम पोर्टल पर शिकायत के बाद भ्रष्टाचारी अफसर बर्खास्त
देहरादून। घूसखोरी के मामले में धामी सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। रिश्वत लेने के आरोप में राज्य कर अधिकारी अनिल कुमार को बर्खास्त को कर दिया गया है। दरअसल, देहरादून के आशा रोड़ी चेक पोस्ट पर हरियाणा से देहरादून आ रहे वाहनों की चेकिंग करने पर राज्य कर अधिकारी अनिल कुमार ने रिश्वत की मांगी थी। इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई। जिसके बाद विभागीय जांच में अनिल कुमार के खिलाफ आरोप सही पाए गए। कुछ माह पूर्व विभाग में अनिल कुमार को निलंबित कर राज्य कार्यालय हल्द्वानी में संबद्ध किया था। अब सरकार ने अनिल कुमार को सेवा से बर्खास्त करने के आदेश जारी किए।
राज्य कर आयुक्त ने राज्य कर अधिकारी अनिल कुमार को बर्खास्त कर दिया गया है। सीएम पोर्टल पर हुई शिकायत के बाद विजिलेंस ने मामले में मुकदमा दर्ज किया था। वह पहले भी गिरफ्तार हुए थे, लेकिन जमानत पर रिहाई के बाद दोबारा सेवाएं दे रहे थे। साल 2020 में राज्य माल और सेवा कर विभाग (स्टेट जीएसटी) में भ्रष्टाचार का सनसनीखेज मामला सामने आया था। देहरादून के आशारोड़ी चेकपोस्ट (मोबाइल दस्ता) पर तैनात एक अधिकारी पर एक मालवाहक को रुकवाकर जबरन वसूली करने का आरोप लगा था। अधिकारी ने एक खाते में भी 20 हजार रुपये की रकम भी डलवाई थी। माल मंगाने वाले हनुमान चौक के कारोबारी ने इस मामले में सीएम पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई थी।
सीएम पोर्टल पर हनुमान चौक के व्यापारी अनिल माटा की ओर से दर्ज शिकायत में लिखा था कि 15 फरवरी को उन्होंने हिसार से अस्पतालों में कूड़े में प्रयुक्त होने वाले थैले मंगाए थे। उनका मालवाहक वाहन (एचआर 39सी 7088) देर रात आशारोड़ी चेकपोस्ट पर पहुंचा, तो वहां तैनात एक अधिकारी ने वाहन को रुकवा दिया। माल ई-वे बिल पर मंगाया जा रहा था। हालांकि, तय समय (रात एक बजकर 30 मिनट) तक ई-वे बिल का पार्ट-बी फाइल नहीं था। माल भेजने वाले कारोबारी ने तड़के तीन बजे के आसपास इसे भी अपडेट कर दिया।
आरोप है कि इसके बाद भी संबंधित अधिकारी ने वाहन नहीं छोड़ा था और वाहन चालक की जेब से जबरन 9500 रुपये निकाल लिए थे। साथ ही और पैसे की मांग की गई थी। चालक ने माल भेजने वाले कारोबारी को फोन कर पूरी स्थिति बताई थी और माल भेजने वाले कारोबारी से भी अधिकारी की बात कराई थी। कारोबारी ने जब यह कहा कि चालक के पास और पैसे नहीं हैं तो अधिकारी ने एक बैंक अकाउंट नंबर दे दिया था। कारोबारी ने अकाउंट नंबर परगूगल-पे से 20 हजार रुपये ट्रांसफर किए थे। तब जाकर अधिकारी ने वाहन को आगे जाने दिया था।