यमकेश्वरः तालघाटी में आपदा के बाद भुखमरी की स्थिति, घर में उजाला करने के लिए मोमबत्ती नहीं और खाने के लिए सब्जी दाल नहीं, जाये तो कैसे, चारों ओर रास्ते पड़े हैं बंद,

यमकेश्वरः यमकेश्वर के तालघाटी में आपदा के कारण ताल और त्याड़ो नदी उफान पर है, बरसात में चार माह वैसे ही यह घाटी पूरी तरह कट जाती है, किन्तु घर गॉव में खेती और सब्जी आदि हो जाती थी तो लोगों के लिए दो वक्त खाने को मिल जाता था, परन्तु इस बार स्थिति बिल्कुल अलग है। अत्यधिक बारिश के कारण जहॉ चारों ओर रास्ते बंद हैं, वहीं काण्डाखाल खैराणा मोटर मार्ग पूरी तरह क्षति ग्रस्त है, वहीं नौंगांव विन्ध्यवासनी मोटर सड़क मार्ग भी पूरी तरह से बंद है।
ग्राम सभा बुकण्डी के संसपुरी तोक निवासी सुरेन्द्र सिंह रावत का कहना है कि पिछले एक हप्ते से लाईट नहीं है, घर में उजाला करने के लिए मोमबत्ती तक नसीब नहीं हो रही है, कैरोसीन मिलना तो बहुत पहले ही बंद हो चुका है। लाईट नहीं होने के कारण फोन चार्ज करने के लिए दूरस्थ क्षेत्र एक दो परिवारों में इन्वर्टर हैं उनके यहॉ घण्टे भर ही लगाने के लिए लोगों का नम्बर लगा हुआ है। स्थानीय दुकानों में जो सामान था वह खत्म हो चुका है, उनके पास भी बाजार से सामान लाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। वहीं अमर सिंह रावत का कहना है कि घर में जो आलू प्याज था वह भी समाप्त हो गया है, और जो कुछ बचा था वह भी अत्यधिक बरसात के कारण सड़ गया हैं।
वहीं तालघाटी के साईकिलवाड़ी निवासी राजेश रावत, सुखबीर बिष्ट ने कहा कि घर में इस बार जो बेल थी वह भी अत्यधिक बारिश के कारण खराब हो गयी हैं, दाल जो बची थी वह भी समाप्त होने को है, खाने के लिए सिर्फ चावल और रोटी नमक में गुजारा करना पड़ रहा हैं।
वहीं संजय कण्डवाल, सत्यपाल रावत ने कहा कि इस समय तालघाटी मेंं चारों ओर विपदा और आपदा दोनों आयी है, अब तो हालात भुखमरी के होने लगे हैं, रात को अंधेरे के साये में रहने को मजबूर हैं। जो बड़े परिवार हैं, उनके सामने तो विकट परिस्थितियॉ हैं, अब तो सरकारी सस्ते गल्ले का राशन भी मिलना मुश्किल हो गया है। राहत सामग्री की वास्तव में पूरी तालघाटी को आवश्यकता है, ताकि उनके सामने रोजी रोटी की समस्या दूर हो सके।
स्थानीय निवासी गबर सिंह रावत, दिनेश रावत, आदि का कहना है कि प्रशासन को यहॉ पर हवाई मार्ग से निरीक्षण कर यहॉ पर हैलीकॉप्टर से राशन वितरण करना चाहिए क्योंकि यहॉ से बाहर जाना जान जोखिम में डालने के सामने है। वहीं कण्डरह निवासी धर्म सिंह रावत ने कहा कि हमारी तो धान की खेती भी इस आपदा की भेंट चढ चुकी है, जो कुछ खेत में था वह भी बह गया है। उन्होंने कहा कि इस बार के हालात सबसे ज्यादा भयावह हैं।
वहीं स्थानीय निवासियों का कहना है कहा कि तालघाटी क्षेत्र का विस्थापन ही अब एक मात्र विकल्प रह गया है, क्योंकि पूरे क्षेत्र में पहले ही पलायन हो गया है, अब तो पूरी तालघाटी में गिने चुने और मजबूर रह गये हैं। बुकण्डी घोरगड्डी, ताल घेरू तल्ला कोटा मल्ला कोटा, बॉदणी, ताल खैराणा, के निवासियों को भी विषम परिस्थितियों में रहना पड़ रहा हैं। अभी जिस तरह से बारिश हो रही हैं, उसको देखकर हर रोज स्थानीय निवासियों में चिंता बनी हुई है, ताल स्कूल में रास्ता नहीं होने से स्कूली बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है, ताल स्कूल दोनों तरफ से खतरे की जद में है।