उत्तराखंड में आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा करने पर 37 अस्पतालों की सूचीबद्धता समाप्त, 60 करोड़ के गलत बिल किए गए निरस्त
देहरादून। उत्तराखंड में आयुष्मान योजना को संचालित कर रहे राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने अब तक अस्पतालों की ओर से भेजे गए इलाज के 60 करोड़ की राशि के गलत बिलों को निरस्त किया है। योजना में फर्जीवाड़ा करने वाले 37 अस्पतालों के खिलाफ सूचीबद्धता निरस्त करने की कार्रवाई की गई है।
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष डीके कोटिया और सीईओ एवं अपर सचिव अरुणेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि आयुष्मान योजना के संचालन में किसी तरह की अनियमितता करने की कोई गुंजाइश ही नहीं है। उपचार हो या अस्पताल के बिलों का भुगतान, प्रत्येक प्रक्रिया ऑनलाइन है। योजना में सूचीबद्ध अस्पतालों को भी भुगतान के लिए एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। बंद अस्पतालों को भुगतान करने का योजना में कोई रास्ता नहीं है। कोटिया ने कहा कि वर्तमान में प्रदेशभर में 47.32 लाख आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं। योजना में गोल्डन कार्ड धारक मरीजों के इलाज पर सरकार ने 868 करोड़ की राशि खर्च की है। राज्य स्वास्थ्य योजना में सरकारी कर्मचारियों व पेंशनरों के उपचार पर होने वाले खर्च की कोई सीमा निर्धारित नहीं है।
योजना में 25 प्रमुख बीमारियों के लिए 1600 पैकेजों के माध्यम से उपचार की व्यवस्था है। प्रदेश में कुल 232 अस्पताल योजना में सूचीबद्ध हैं। जिसमें 102 सरकारी और 130 निजी अस्पताल शामिल हैं। प्रदेश के बाहर 28 हजार अस्पताल सूचीबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि निगम व अशासकीय कार्मियों को राज्य स्वास्थ्य योजना में शामिल करने की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही उन्हें गोल्डन कार्ड का लाभ मिल जाएगा।
प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुणेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि प्रदेश मेें आयुष्मान योजना के तहत कार्ड बनाने का अभियान तेजी से चलाया जा रहा है। अब लाभार्थी को लेमिनेटेड कार्ड दिया जा रहा है। योजना में प्रदेश से बाहर आसाम, बिहार, चंडीगढ़, गोवा, दादर नागर हवेली, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब राज्य में भी प्रदेश के करीब 21 हजार लाभार्थियों का निशुल्क उपचार किया गया। जिसमें करीब 43 करोड़ का खर्च आया है।