राज्‍य सरकार ने जोशीमठ के प्रभावितों में से 130 परिवारों को पीपलकोटी में स्‍थायी तौर पर पुनर्वासित करने का लिया फैसला

राज्‍य सरकार ने जोशीमठ के प्रभावितों में से 130 परिवारों को पीपलकोटी में स्‍थायी तौर पर पुनर्वासित करने का लिया फैसला
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देहरादून। राज्‍य सरकार ने जोशीमठ के प्रभावितों में से 130 परिवारों को पीपलकोटी में स्‍थायी तौर पर पुनर्वासित करने का निर्णय लिया है। अस्‍थायी पुनर्वास के प्रति प्रभावितों ने रुचि नहीं दिखाई थी। जोशीमठ में साढे आठ सौ से अधिक प्रभावित परिवार राहत शिविरों में ठहराए गए हैं। असुरक्षित हो चुके भवनों से परिवारों को सुरक्षित स्‍थानों पर ले जाने का क्रम जारी है। दरारों के कारण जेपी कालोनी के 15 भवनों तोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

जोशीमठ में भूधंसाव के कारणों का पता लगाने और उपचार की दिशा तय करने के लिए आइआइटी रुड़की, सीबीआरआइ, वाडिया भूविज्ञान संस्‍थान और जीएसआइ समेत आठ एजेंसियां अध्‍ययन में जुटी हुई हैं। मंगलवार को राज्‍य सरकार ने इन सभी की जांच रिपोर्ट के लिए समय सीमा तय कर दी है। जोशीमठ के भविष्‍य को लेकर किसी निष्‍कर्ष तक पहुंचने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। वर्तमान में भूधंसाव को लेकर जोशीमठ क्षेत्र की दशा-दिशा तय करने की चुनौती सामने है। इतिहास पर नजर डालें तो सामने आता है कि यह पूरा क्षेत्र वर्ष 1970 में बड़ी त्रासदी झेल चुका है।

इस त्रासदी के प्रभाव व कारण उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) के निदेशक प्रो. एमपीएस बिष्ट अपनी पीएचडी में बयां किए हैं। वर्ष 1985 से 1991 के बीच पूरी की गई पीएचडी के तथ्यों के मुताबिक, जोशीमठ क्षेत्र में जमीन की संवेदनशीलता के लिए बाहरी कारण के साथ बड़ा आंतरिक कारण भी जिम्मेदार है। यहां से ऐतिहासिक भूकंपीय फाल्ट मेन सेंट्रल थ्रस्ट भी गुजर रहा है। यहां भूगर्भीय हलचल जमीन की सतह तक प्रभावित करती हैं।

Mankhi Ki Kalam se

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