कुमाऊं मंडल के इन 16 मंदिरों के सौंदर्यीकरण का कार्य अगस्त से होगा शुरू, वर्ष 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य

कुमाऊं मंडल के इन 16 मंदिरों के सौंदर्यीकरण का कार्य अगस्त से होगा शुरू, वर्ष 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य
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देहरादून। उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है। यहां के हर एक कोने में आपको धार्मिक स्थल मिल जाएंगे। उत्तराखंड में ही केदारनाथ धाम और तुंगनाथ मंदिर है। इसके अलावा कई ऐसे मंदिर हैं जो जर्जर अवस्था में और अपनी पहचान खोते जा रहा हैं। अब प्रशासन ने इन मंदिरों को भी नई पहचान देने की व्यवस्था कर ली है। मानसखंड परियोजना के तहत धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कुमाऊं मंडल के 16 मंदिरों के जीर्णोद्धार और सुंदरीकरण का कार्य अगस्त माह में शुरू किया जाएगा। इस कार्य को वर्ष 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। केंद्र सरकार की इस परियोजना के तहत 700 करोड़ से अधिक की लागत से सड़कों, रोपवे निर्माण व सुंदरीकरण का कार्य किया जाएगा। केंद्र ने योजना के तहत कुमाऊं मंडल के सभी जिलों में स्थित मंदिरों के नाम मांगे थे।

जिस पर उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद की ओर से मंदिरों का चयन कर सूची शासन को भेजी गई थी। योजना का कार्य लंबे समय से वित्तीय कारणों से अटका हुआ था, लेकिन अब शासन की ओर से इसे हरी झंडी दी गई है। योजना के पहले चरण में कुमाऊं के 16 मंदिरों का अवस्थापना विकास किया जाएगा। इसमें अल्मोड़ा के छह, चंपावत के चार, बागेश्वर के दो, पिथौरागढ़ के दो और नैनीताल के दो मंदिर शामिल हैं। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के वरिष्ठ शोध अधिकारी सुरेंद्र सिंह सामंत ने बताया कि मंदिरों के जीर्णोद्धार को लेकर सभी तैयारियां कर ली गई हैं। अगले माह से काम शुरू कर दिया जाएगा।

जागेश्वर धाम समेत इन मंदिरों का किया जाएगा जीर्णोद्धार जागेश्वर धाम, झांकरसैम मंदिर, नंदा देवी मंदिर, कसार देवी मंदिर, चितई गोल्ज्यू मंदिर, शिव मंदिर ताकुला, स्याही देवी मंदिर, नैथणा देवी मंदिर, गणानाथ मंदिर, शीतलाखेत मंदिर, बमनसश्वाल मंदिर, बिंध्यवासिनी बानड़ी देवी मंदिर, मुंढेश्वर महादेव मंदिर शामिल हैं।

Mankhi Ki Kalam se

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