राहुल गांधी को छोड़ क्या नीतीश कुमार होंगे विपक्ष के पीएम कैंडिडेट.?
पटना। जनता दल यूनाइटेड की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की तीन दिवसीय बैठक बीते दिन से पटना में हो रही है। जदयू कार्यालय में आयोजित इस बैठक में शामिल होने देश भर के नेता पहुंच रहे हैं। माना जा रहा है कि जदयू की इस बड़ी बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार प्रोजेक्ट किए जाने का प्रस्ताव भी लाया जा सकता है। हालांकि, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने फिलहाल इस बात को खारिज किया है कि जदयू नीतीश कुमार को पीएम कैंडिडेट घोषित करने जा रहा है।
दरअसल, तेलंगाना के मुख्यमंत्री का बीते बुधवार को बिहार दौरे पर आने और नीतीश कुमार व लालू प्रसाद यादव से मिलने के बाद से ये कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार विपक्ष की ओर से पीएम कैंडिडेट हो सकते हैं। मगर ललन सिंह ने बीते गुरुवार को ऐसे कयासों पर विराम लगाते हुए कहा, जदयू का लक्ष्य बहुत बड़ा है, बीजेपी के विरुद्ध देश भर की सभी पार्टीयों को एकजुट कर एक मंच पर लाना और एकजुट होकर भारतीय जनता पार्टी से मुकाबला करना है। नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद के कभी उम्मीदवार नहीं हैं यह मीडिया के दिमाग की उपज है और एक एजेंडा के तहत इसे चलाया जा रहा है।
बताते चलें कि बिहार की राजनीति गलियारे में इस डील की चर्चा है कि नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ केवल इसी शर्त पर छोड़ा है कि आगामी लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ नीतीश कुमार महागठबंधन के नेता घोषित किए जाएंगे। सूत्रों का कह भी कहना है कि गठबंधन तोड़ने से पहले लालू यादव और सोनिया गांधी से इस बारे में लंबी चर्चा भी हुई थी। सोनिया गांधी से चर्चा के बाद ही नीतीश कुमार ने बीजेपी से हाथ झटकर आरजेडी और महागठबंधन का दामन थामा है।
नीतीश कुमार की छवि हो रही खराब
यहां एक बात गौर करने वाली है कि आरजेडी के साथ जाकर नीतीश कुमार ने भले ही सरकार बना ली है। लेकिन इससे उनकी छवि पर लगातार असर पड़ रहा है। नीतीश कुमार की छवि भले एक साफ सुथरे नेता की हो मगर आरजेडी की छवि साफ नहीं। वहीं, तेजस्वी पर भी जनता भरोसा करने को तैयार है। मगर उनके पीछे लालू की विरासत है। इस विरासत के जितने अच्छे पहलू हैं उससे कहीं ज्यादा बुरे पहलू हैं। लिहाजा तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनने की राह में रोड़ा लालू यादव का विकास मॉडल ही है। जो अब नीतीश कुमार की भी छवि पर खराब कर रहा है।
आरजेडी के साथ नीतीश कुमार का गठबंधन उनकी छवि पर हर रोज भारी पड़ रहा है। जानकारों का मानना है कि ये सिलसिला लंबा चला तो नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव तो दूर विधानसभा चुनाव जीतना भी मुश्किल हो जाएगा। दरअसल, आरजेडी में बाहुबलियों और दागियों की भरमार है। ज्यादातर नेताओं पर कोई न कोई आरोप है। चाहे शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर हों, कृषि मंत्री सुधाकर सिंह हों। इसके अलावा अनंत सिंह, आनंद मोहन और कार्तिक सिंह जैसे वो नाम हैं जिनकी वजह से नीतीश कुमार के लिए अपना दामन साफ बचाना मुश्किल लग रहा है। अब उन्हें अपना दामन बचाकर जल्द से जल्द निकल जाना ही बेहतर विकल्प लग रहा है।