यमकेश्वर के देवराना गॉव की भू गर्भीय निरीक्षण रिपोर्ट हुई सार्वजनिक, जानिये विस्थापन के संबंध में प्रमुख बातें और सुझाव

यमकेश्वर के देवराना गॉव की भू गर्भीय निरीक्षण रिपोर्ट हुई सार्वजनिक, जानिये विस्थापन के संबंध में प्रमुख बातें और सुझाव
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यमकेश्वरः यमकेश्वर क्षे.त्र के देवराना और कसाण बसाण गॉव में विगत अगस्त माह में हुई भारी बरसात के बाद यह दोनें गॉव आपदा और भू धंसाव से सर्वाधिक प्रभावित हुए थे, देवराना गॉव में जमीन और मकानों में दरारें आ गयी थी जगह जगह भवन और रास्ते क्षतिग्रस्त हो गये थे। प्रशासन ने दिनांक 13 अगस्त 2023 को देवराना और कसाण बसाण गॉव का भूगर्भीय निरीक्षण करवाया। भूतत्व एवं खनिज विभाग पौडी के सहायक भू वैज्ञानिक, रवि नेगी द्वारा गॉव का धरातलीय निरीक्षण कर आख्या जिलाधिकारी पौड़ी को प्रेषित कर दी है। उक्त रिपोर्ट में देवराना गॉव के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट प्राप्त हुई है।


(क) रिर्पोट के अनुसार ग्राम देवराना के अधिकतर आवासीय भवन उत्तर उत्तर पूरब से दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर विस्तारित पहाड़ी रिज पर अवस्थित है तथा अवशेष अन्य आवासीय भवन रिज के दोनो ओर के पहाड़ी ढलानो यथा दक्षिण-पूरब ढलानों एंव उत्तर-पश्चिम ढलानों पर विभिन्न तोको में अलग-अलग स्थानों पर अवस्थित है।

(ख) मौके पर ग्राम डेबराना को जोड़ने वाले किमसार डेबराना मोटर मार्ग पर ग्राम डेबराना के सीमा के समीप कचुंडा तोक को जाने वाले लिंक मार्ग से लगभग 100 मी0 की दूरी पर ग्राम की ओर जाने वाले आरंभिक बैंड पर भूस्खलन / भूधसांव देखा गया है, उक्त भूस्खलन / भूधसांव मार्ग पर औसतन 50 मीटर लम्बाई में मोटर मार्ग पर 01 मीटर के धसाव के साथ दृष्टिगोचित है, जिसकी ऊँचाई मोटर मार्ग के अपस्लोप पर औसतन 50 मीटर तथा डाउनस्लोप में 40 मीटर से अधिक लम्बाई में दृष्टिगोचित है।

(ग) ग्राम देवराना के दक्षिण-पूरब ढलानों पर ग्राम सीमा के आरंभिक बैंड से लगभग 1.3 किलोमीटर दूरी पर अवस्थित मुख्य ग्राम देवराना के अवासीय तोक डांखाल- बल्लाखोली के निचले पहाड़ी ढलान भागों पर समरेखित मोटर मार्ग पर लगभग 45 मीटर लम्बाई / चौड़ाई में अन्य भूदृधसाव दृष्टिगत है, जिसकी ऊंचाई मोटर मार्ग के अपस्लोप पर औसतन 70-80 मीटर तथा डाउनस्लोप में 100 मीटर दृष्टिगत है। जिसके अन्तर्गत ग्राम तोक डांखाल- बल्लाखोली के निवासित लगभग 8 परिवारों के भवन संवेदनषील स्थिति में देखे गये हैं।

(घ) उक्त भूधसांव क्षेत्र से लगभग 150 मीटर आगे ग्राम तोक छुलंगी-बिजरा में भू- धसाव देखा गया है, जोकि मोटर मार्ग पर लगभग 45 मीटर चौड़ाई भाग में फैला है, तथा मार्ग के अपस्लोप एवं डाउनस्लोप दोनों दिशाओं में दृष्टिगत है, उक्त भू-धसाव के समीप छुलंगी तोक के अपस्लोप ढलान पर अवस्थित सिरकंडा तोक के नीचे तक भू-धसाव देखा गया है, भू-धसाव के कारण वर्तमान निरीक्षण के दौरान छुलंगी-बिजरा तोकों के 3 अवासीय भवन संवदेनशील स्थिति में देखे गये हैं, तथा छुलंगी तोक के अपस्लोप ढलान पर अवस्थित सिरकंडा तोक (7 अवासीय भवन) तक भू-धसाव बढ़ने की संभावना है। चित्र-6, 7 तथा भूधसांव को आगे मार्ग पर ग्राम तोक चमली तक देखा गया है। (ड़) ग्राम डेबराना के उत्तर-पश्चिम ढलानों पर विस्तारित ग्राम तोक पम्माकोटी झिलकण्ड एवं खिंगरण एंव डिबराण तोकों में भी इसी प्रकार के भूधसाव को देखा गया है।

3 भू-गर्भीय संरचना एवं प्राप्त आंकड़े-

भू-वैज्ञानिक दृष्टिकोण के आधार पर उक्त क्षेत्र पूर्व में किये गये वृहद भूवैज्ञानिक अध्ययनों से संज्ञानित है कि उक्त क्षेत्र, लेसर हिमालयी क्षेत्र के अन्तर्गत पूर्व से रामगढ़ समूह की वर्गीकृत चटटानों में अवस्थित है, जिसके उपरी भागों में कालांतर में पहाड़ी ढलानों से आये कॉलूवियम /पहाडी भूधसाव / प्राकृतिक क्षरण के कारण जनित मोटी मृदा-कॉलोवियम की परत दृष्टिगोचित है, जिसका विवरण निम्नानुसार है-
कॉलोवियम डिपोसिट्स साधारण मिटटी, पीली, चिकनी महीन अभ्रक एंव अन्य
खनिज कणों युक्त मृदा की सतह । न्दबवदवितउपजल मेटाबेसिक, ग्रेनाईटिक कस्टलाईन एवं क्वार्टजाईटिक, फिलाईटिक चटटाने । रामगढ़ समूह फारमेशन प्रभावित ग्राम के भू सतह का निर्माण मुख्यतः कालान्तर में अपस्लोप पहाडी ढलानों से वर्षाकाल में लाये मलबें एंव मृदा के जमाव के कारण निक्षेपित, मृदा एंव कॉलोवियम डिपोसिट्स से हुई है, जहां भू-सतह की उपरी परत औसतन 1 से 2 मी0 मोटाई युक्त महीन अभ्रक एंव अन्य खनिज कणों युक्त / क्ले डिपोसिट्स से निर्मित है जिसके नीचे फिलाईटिक चटटानें पहाड़ी ढलानों पर मो० मार्ग के कटान भागों पर स्पष्ट दृष्टिगोचित है। चटटानों की नति 45° से 60° उत्तर से उत्तर पूरब एंव पूरब दिशा की ओर है, जो कि पहाड़ी ढलानों के दिशा के सामान्तर दिशा में है, तथा भू-स्खलन / भूधसाद की तीव्रता की बढ़ाने में सहायक है।

भूसतह पर पीले भूरे, मटमैले रंग की भुरभुरी महीन अभ्रक एंव अन्य खनिज कणों युक्त सरन्ध्र व पारगम्य प्रकृति की मृदा की परत दृष्टिगोचित है, जिसके साथ फिलाईटिक प्रकृति की चट्टानों के फेगमेन्ट / पेब्लस (0.5 सेमी0-5सेमी0 आकार के) मृदा के साथ असंगठित एंव संगठित अवस्था में दृष्टिगोचित है, जो कि सतह पर उपलब्ध मृदा / क्ले की परतों के सापेक्ष अत्यधिक सरंध्र को बढ़ानों में सहायक है।
4. संरक्षात्मक उपाय / विचारणीय बिन्दु एंव सुझाव –
1. वर्तमान में ग्राम के उत्तर-पूरब से दक्षिण-पूरब ढलानों पर निवासित तोक डांखाल-बल्लाखोली, सिंलकण्ड, दलिंग, कुलंगी-बिजरा एंव अमरई तोको में एंव तोको के समीपस्थ पहाडी ढलानों पर जनित भूधसावों के कारण उत्पन्न संवेदनशील स्थिति में निवासित परिवारों को वर्तमान वर्षाकाल में ग्राम सीमा के अन्तर्गत अथवा ग्राम सभा के सुरक्षित स्थलो पर / सुरक्षित भवनो में स्थानान्तनित किया जाना होगा।

2. वर्षाकाल में होने वाली अतिवृष्टि एंव ग्राम क्षेत्र में निकलने वाले भूजल के कारण ग्राम के भूसतहो पर अवस्थित चिकनी मृदा की परतों के संरद्रता बढ़ने के फलस्वरूप ग्राम के अन्य तोकों, खैराडी, छिलखंड, खोग्रण एवं अन्यों के सीमा में भी भूधसांव होने की संभावना दृष्टिगत् पूर्व से ही ग्राम के मध्य भागों से निकलने वाले सतही एंव वर्षाजल के उचित प्रबंध / वर्षाजल का दिशापरिवर्तन कर सुरक्षित ढलानो की ओर किये जाने की आवश्यकता है। 3. ग्राम में छोटी दरारों को बढ़ने रोकने हेतु तत्काल ही आपदा प्रबंधन द्वारा दरारों को प्लास्टिक / तारपोलिक से ढका जाना हितकर होगा।

. ग्राम के मध्य से गुजरने वाले मो० मार्ग (ग्राम के आरम्भ में कचुंडा को जाने वाले मार्ग से लेकर ग्राम के अन्तर्गत एंव ग्राम तोक चमली की सीमा तक के संवेदनशील भाग) पर तीन भागो में जनित भूधसावों के कारण उत्पन्न संवेदशील स्थिती को संरक्षित किये जाने हेतु कार्यदायी संस्था के माध्यम से भूकटाव के भागों को पूर्णतः प्लास्टिक / तारपोलिन से दरारों को ढका जाना अधिक हितकर होगा।

चूकिं वर्तमान में क्षतिग्रस्त मो० मार्ग के संवेदनशील दरारों युक्त भागों में किसी भी डोजर / भारी जे०सी०बी० मशीनों मलबा भराव किये जाने / संवेदनशील भागों में भारी मशीनों के वाइब्रेशन उत्पन्न किये जाने से मार्ग पर जनित भूधसावो के तीव्रता से निचले ढलानों की और अधिक बढने की संभावना है।

5. सम्पूर्ण ग्राम के वर्षाकाल उपरान्त पुनः विस्तृत भूगर्भीय सर्वेक्षण किये जाने उपरान्त ही संवेदनशील ग्राम तोको में निवासित परिवारो का चिन्हिकन कराया जाना उचित होगा।

निष्कर्षः-
वर्तमान में ग्राम अर्न्तगत भूगर्भीय सर्वेक्षण के दौरान प्राप्त आंकड़ों के आधार पर ग्राम के कतिपय तोको की वर्तमान स्थित संवेदनशील है, सम्पूर्ण ग्राम क्षेत्र में वर्षाकाल उपरान्त पुनः विस्तृत भूगर्भीय सर्वेक्षण किया उचित होगा, तदोपरान्त संवेदनशील ग्राम तोको में निवासित परिवारों को सुरक्षित क्षेत्रों में / अन्यत्र विस्थापन हेतु चिन्हिकन राजस्व विभाग द्वारा कराया जाना उचित होगा।

Mankhi Ki Kalam se

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