यमकेश्वर साहसिक पर्यंटन के तहत शिला रोहण, रौक क्लांईम्बिग, रैपलिंग की अपार सम्भावनाये, यँहा कर सकते हैं ट्रेकिंग
यमकेश्वर: यमकेश्वर मे साहसिक पर्यटन की अपार संभावनाओं को देखते हुये यहां के स्थानीय युवाओं द्वारा मोहन चट्टी हेंवल घाटी से क्वीराळ गांव के घने जंगलों के बीच से भैल्डुंग की दुर्गम चट्टानों को पार करते हुये यमकेश्वर मे एक नये ऐतिहासिक ट्रैक को खोजने का प्रयास किया गया। ट्रैक को लीड कर रहे यमकेश्वर के जाने माने अंतर्राष्ट्रीय पर्वतारोही पूर्व सैनिक सुदेश भट्ट ने बताया कि यमकेश्वर पर्यटन के क्षेत्र मे देशी विदेशी सैलानियों की पहली पसंद बनता जा रहा है । लेकिन अपार प्राकृतिक संसाधनों के बाद भी सरकार यहां पर साहसिक पर्यटन को धरातल पर उतार पाने मे असफल साबित हुयी है, साहसिक पर्यटन के क्षेत्र मे अपार संभावनाओं के बाद भी यमकेश्वर को साहसिक पर्यटन के क्षेत्र मे वो पहिचान नही मिल पाई जो मिलनी चाहिये थी ईस बात पर गौर करते हुये स्थानीय समाज सेवी भगत राम जोशी एवं सुदेश भट्ट ने संयुक्त रुप से एक साहसिक ट्रैक की खोज करने का फैसला लिया व हेंवल घाटी से शुरु कर इसे प्रसिद्ध सिद्ध पीठ गैंणा डांड से जोडने की पहल कर साहसिक पर्यटन व तीर्थाटन को एक साथ जोडने का साहस पूर्ण कदम उठाया।
भगत राम जोशी के अनुसार हमारी टीम ने सुबह चार बजकर पैंतालीस मिनट पर हेंवल घाटी के पर्यटन प्रतिष्ठान
कैंप नंदनवन एवं योग माया रिजोर्ट के सामुहिक प्रयास से दल को रवाना किया गया जिसमे रास्ता काफी दुर्गम व चुनोती पूर्ण भरा रहा । वियावान जंगलों के दुर्गम पगडंडियों से होते हुये रस्सियों के सहारे दल ने संघर्ष करते हुये व सुदेश भट्ट के पर्वतारोहंण के अनुभवों का लाभ उठाते हुये खडी चट्टानों को पार कर निरंतर आठ घंटे चलने के बाद दल प्रसिद्ध तीर्थ स्थल गैंणा डांड पहुंचा। गैंणा डांड की गगन चुंबी चोटी से समस्त यमकेश्वर समेत हेंवल घाटी व तालघाटी के विहंगम दृश्यों का नयनाभिराम मंत्रमुग्ध करते हुये ट्रैकिंग दल को उत्सुकता प्रदान करती हुयी प्रतीत हुयी शभगत राम जोशी ने बताया कि ट्रैकिंग का उद्देश्य क्षेत्र मे साहसिक पर्यटन को बढावा देकर स्थानीय युवाओं मे रोजगार के प्रति आत्म निर्भरता के भाव उत्पन्न कर उन्हे जागरूक करना है।
वहीं अंतर्राष्ट्रीय पर्वतारोही सुदेश भट्ट ने सरकार से इस तरह के साहसिक पर्यटन को बढावा देने के लिये सरकार से गुहार लगाई कि यदि सरकार ग्रामीण क्षेत्र मे जंगलों के बीच पगडंडियों को बेहतर ढंग से बनाकर ट्रैक के रुप मे विकसित करे तो यहां पर साहसिक पर्यटन के क्षेत्र मे जहां शिला रोहण, रौक क्लांईम्बिग, रैपलिंग को बढावा मिलेगा वहीं पर्यावरण प्रेमियों के साथ साथ वन्य जीव एवं पक्षी प्रेमियों को भी यमकेश्वर की ओर आकर्षित किया जा सकता है जिसके माध्यम से स्थानीय युवा गाईड व ट्रैकिंग एजैंसियों की शुरुवात कर आत्म निर्भर भारत के तहत अपने स्वरोजगार की शुरुवात कर सकते हैं जिससे क्षेत्र से बढते पलायन को निश्चित ही विराम लगेगा।
सुदेश भट्ट का कहना है कि यदि सरकार इस महत्वपूर्ण व युवाओं के प्रति दूर दृष्टि सोच इस योजना मे सहयोग करती है तो उनका अगला लक्ष्य हेंवल घाटी को ताल घाटी, यमकेश्वर घाटी से होते हुये मालन घाटी तक जोडकर क्षेत्र के समस्त सिद्ध पीठों को था साहसिक पर्यटन को तीर्थाटन से जोडकर यमकेश्वर को वैश्विक पटल नयी पहचान दिलाकर स्थानीय युवाओं को रोजगार मुहैय्या कराना है। ट्रैकिंग दल मे अजय भट्ट व अंकित भट्ट जैसे कर्मठ युवा टीम में शामिल थे।