यमकेश्वर की शांत वादियों में अपराधिक घटनाओं का बढता ग्राफ, खनन और भूमाफियाओं के जद में यमकेश्वर की घाटीयां
यमकेश्वरः यमकेश्वरः विकास के नाम से सबसे पिछड़े क्षेत्र का तमगा लेने वाला यमकेश्वर आजकल अपराधों के लिए सुर्खियों में बना हुआ है। यमकेश्वर क्षेत्र के शांत वादियों में जिस तरह से आपराधिक घटनायें घटित हो रही हैं, वह आने वाले समय के लिए यदि अपराधिक प्रवृत्तियों को रोकने के लिए शासन प्रशासन कड़े नियम नहीं बनाता तो वह दिन दूर नहीं जब यह पूरा क्षेत्र हर दिन बड़ी बड़ी दुर्घटनाओं के लिए सुर्खियों में बना रहेगा। यमकेश्वर की यह शांत घाटियां अब अपराधियों के लिए चंबंल घाटी बनने लगी हैं, पहले ही यमकेश्वर अनेक अभावों के चलते पलायन की होड़ में आगे था, जो कुछ लोग शांत वातावरण में अभावों को नजर अंदाज करते हुए मजबूरी में रह भी रहे थे उनके लिए ऐसे बढते आपराधिक घटनाओं ने उनके यहॉ रहने के लिए सोचनीय बना दिया है।
यमकेश्वर क्षेत्र के हेंवल नदी हो या ताल घाटी, यमकेश्वर सतेड़ी या त्याड़ो घाटी में जिस तरह से खनन माफियों, रिजॉर्ट और भूमाफियाओं और के जद में आ गया है, वह स्थानीय निवासियों के लिए नासूर बनता जा रहा है। यमकेश्वर क्षेत्र के हेंवल घाटी के रिजॉर्ट में संदीप राणा के सिर पर अज्ञात बाहरी लोगो द्वारा वार का प्रकरण चल ही रहा था कि का विवाद थमा नहीं था कि उसके कुछ दिन बाद फिर इसी क्षेत्र में घट्टूगाड के रिजॉर्ट में हुए यशपाल नेगी के हत्या प्रकरण हो या हॉल ही में घटित खनन माफियाओं द्वारा जोगियाणा ग्राम सभा के प्रधान पति के साथ बंधक बनाकर मारपीट की घटना हो, या त्याड़ो घाटी में जबरदस्ती खनन करने का मामला हो यह सब चिंता जनक पहलू हैं।
यमकेश्वर क्षेत्र में जिस तरह से पूरे डांडामंण्डल क्षेत्र हो या लक्ष्मणझूला काण्डी मोटर मार्ग के दोनों तरफ की जमीन बाहरी भूमाफियाओं के द्वारा कौड़ी के दामों में खरीद लिया है, और वहॉ पर अपना एकाधिकार स्थापित करने लगे हैं। बाहरी आपराधिक तत्वों द्वारा मनमानी करने या कानून का खुले रूप से उल्लंघन और शांत वादियों को अशांत करने, दंगा फसाद करने अश्लीलता करने या अन्य कार्य जन विरोधी कार्य करने के लिए स्थानीय व्यक्तियों के द्वारा रोका या विरोध किया जाता है तो उनके साथ मारपीट और गाली गलौज किया जा रहा है।
हाल ही में हुए दो घटनाओं ने पुलिस व स्थानीय प्रशासन के कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिये हैं। पुलिस प्रशासन और स्थानीय प्रशासन जब घटना घटित हो जाती है, तो वह सीधे तौर पर रिर्पेट दर्ज करने से बचने का प्रयास करती नजर आयी है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा थाना या स्थानीय प्रशासन के खिलाफ आंदोलन और घेराव किया जाता है तब जाकर प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज की जाती है। इस तरह के प्रकरण से तो यह साबित होता है कि या तो प्रशासन भी खनन माफियाओं के गले में दोस्ती का हाथ डाले हुए हैं, और भूमाफियों के गले में स्थानीय प्रशासन।
यमकेश्वर में जिस तरह की घटनायें घटित हो रही हैं, उसमें सत्ताधारी दल के लोगों के मुॅह में दही जमना भी कई तरह के सवाल खड़े किये हुए हैं। स्थानीय स्तर पर लॉ एण्ड आर्डर तो कहीं दिखाई नहीं पड़ता है। सत्ताघारी दल के समर्थक सोशल मीडिया में बस केवल वाहवाही लूटते हैं, लेकिन जब इस तरह के प्रकरण सामने आते हैं तो विरोध करने की जगह चुप्पी साध लेते हैं। यशपाल नेगी के प्रकरण पर देखने में आया कि हर कोई श्रेय लेने की होड़ में था, और जन प्रतिनिधियों की वाहवाही खूब की जा रही थी। वहीं प्रधान पति और अन्य के साथ खनन माफियाओं द्वारा किये गये ऐसे हमलावर कृत्य ने यहॉ के पक्ष विपक्ष के बयान बाजी ने साबित कर दिया है कि यमकेश्वर पूरी तरह से राजनीति के भेंट चढ चुका है। जहॉ ऐसे मामलों में राजनीति से ऊपर उठकर एकजुटता का संदेश दिया जाना अपेक्षित था लेकिन अफसोस यह उल्टा एक दूसरे पर दोषारोपण किया जा रहा था। वहीं स्थानीय विधायक को भी इस मामले का तुरंत संज्ञान लेकर अपराधियों को पकड़ने और सजा देने के लिए प्रशासन को निर्देशित करना आवश्यक था।
वहीं यमकेश्वर में विपक्ष तो मुर्छित अवस्था में पड़ा हुआ है उसके लिए तो को नृप हमें का हानि। सारा विपक्ष 2026 तक के लिए निश्चिंत होकर सोया हुआ हैं। एक दो व्यक्तियों को छोड़कर अन्य को इस मामले में कोई दिलचस्पी देखने को नजर नहीं आयी सभी मूकदर्शक बनकर वाच एण्ड वेट की स्थिति में है। यमकेश्वर की शांत वादियों को अगर शांत रखना है तो दलवादी सोच से एकजुटता को प्रदर्शित करना होगा तभी जाकर आपराधिक तत्वों की मनमानी पर रोक लग पाना संभव होगा अन्यथा सत्ता की आड़ में यह लोग नासुर बनेगे।
हरीश कण्डवाल मनखी की कलम से ।