पौड़ी जिलाधिकारी आशीष चौहान ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों की खुद संभाली कमान, आम जनमानस का प्रशासन के प्रति जगाया विश्वास

पौड़ी जिलाधिकारी आशीष चौहान ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों की खुद संभाली कमान, आम जनमानस का प्रशासन के प्रति जगाया विश्वास
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पौड़ीः जिलाधिकारी आशीष चौहान जनता का मर्म को ना केवल अपनी प्रशासनिक क्षमता से दूर करने का प्रयास करते हैं, बल्कि स्वंय वहॉ विषम परिस्थितियों में उपस्थिति होकर जनता के बीच जाकर उनके प्रशासन के प्रति भरोसे को बरकरार रखते हैं। जिलाधिकारी पौड़ी द्वारा जिस तरह से पौड़ी के दूरस्थ क्षेत्रों में जाकर आपदा प्रभावित क्षेत्र हों या फिर पुराने ऐतिहासिक मार्ग उनकी खोज करना और उन पर स्वंय पैदल यात्रा करना उनकी प्रशासनिक क्षमता के साथ संजीदगी को भी दिखाता है।


हाल ही में यमकेश्वर में आयी आपदा में जिस तरह जिलाधिकारी पौड़ी मौके पर विषम परिस्थितियों में पहॅुचे वह जनता का प्रशासन के प्रति उम्मीदों को और मजबूत करने जैसा था। दिनांक 13 अगस्त को यमकेश्वर के जोगियाणा गॉव में रवाडा तोक में रिजॉर्ट में रात मलवा आने से हरियाणा के लोग दब गये थे जिनमें एक बच्ची को सकुशल एसडीआरएफ और क्षेत्रीय निवासियों के प्रयास से बाहर निकाल दिया गया था, बाकि लोग रिजॉर्ट में दबे रहे जिनको एक दिन बाद बड़ी मशक्कत के बाद उनके शव बरामद हुए। जैसे ही जिला प्रशासन को इसकी सूचना मिली जिलाधिकारी पौड़ी डॉ आशीष चौहान सतपुली के रास्ते होते हुए घटना स्थल के लिए रवाना हुए किंतु रास्ते बाधित होने के चलते उनका वाहन आगे नहीं बढ पाया और वह कई जगह पैदल और बाद में एक निजी वाहन एक्टिवा चलाकर से वह अपने सुरक्षा कर्मी के साथ स्वयं घटना स्थल पर पहॅुचे। घटना स्थल पर जाकर खुद मोर्चा संभालते हुए उन्होंने वहॉ पर खुद रेसक्यू टीम को पूरी तत्परता से काम करने के निर्देश दिये।


दिनांक 17 अगस्त की रात को यमकेश्वर क्षेत्र में भारी बरसात होने के कारण बैरागढ और वीरकाटल में गदेरे आने से पूरा गॉव प्रभावित हो गया, उन्होनें अगले दिन ही खुद मोर्चा संभालते ही प्रभावित गॉवों का दौरा किया। बैरागढ और वीरकाटल में समस्याओं के समाधान और आपदा से हुए क्षति का आंकलन करने हेतु संबंधित अधिकारियों को मौके पर ही निर्देश दिये। उसके बाद वह दिउली, जुलेड़ी आदि गॉव जाकर आपदा प्रभावित लोगों से मिले और उनके साथ बैठक कर पूरे प्रकरण का संज्ञान लिया।


डॉ आशीष चौहान ने जिलाधिकारी पौडी का पदभार संभालते ही पुराने पैदल मार्गो का खुद पैदल चलकर निरीक्षण किया। उन्होंने चारधाम यात्रा के पुराने पैदल रास्तों के पुर्नजीवित करने हेतु उनके द्वारा बदरीनाथ केदारना व्यासचट्टी से लेकर फूलचट्टी तक पैदल यात्रा की गयी। उसके बाद उनके द्वारा स्वंय रवासण नदी के पुराने ढाकर मार्ग अमोला लालढांग तक स्थानीय निवासियों के साथ उक्त मार्ग का निरीक्षण किया गया। साथ ही कुनाऊ और अमोला गॉव मेंं स्थानीय ग्रामीणों के साथ चौपाल कर उनकी समस्याओं को सुना।

डॉ आशीष चौहान द्वारा दुगड्डा कोटद्वार अवरू़द्ध मार्ग का भी स्वंय उपस्थित होकर निरीक्षण करना, कोटद्वार में पुल टूटने और वहॉ पर जाकर स्थिति का जायजा लेना एक अधिकारी की जनता के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है। डॉ आशीष चौहान पूर्व में उत्तरकाशी में अपने कार्यकाल के दौरान इस तरह के धरातलीय कार्यों के लिए जाना जाता है। स्थानीय लोगों के द्वारा कहा जा रहा है कि इस तरह से जिलाधिकारी का आपदा प्रभावित क्षेत्र का स्वंय कमान संभालना और आपदा पीड़ितों का दुख को समझना उनकी मानवीय और प्रशासनिक कार्यों के बीच की सामजस्यता को प्रदर्शित करता है, पीड़ित लोगांं का कहना कि इस तरह आम जनमानस के बीच उच्च अधिकारी का स्वयं आना प्रशासन के प्रति लोगों के विश्वास को और दृढ करता है।

 

Mankhi Ki Kalam se

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