विविध

उत्तराखंड में अभिशाप की जगह अब वरदान बनेगा पिरूल, रोशन होंगे घर, पिरूल नीति को किया जाएगा संशोधित

Spread the love

देहरादून। उत्तराखंड में अभिशाप की जगह अब वरदान बनेगा पिरूल। जंगलों में आग को भड़काने का काम करने वाले पिरूल से राज्य के घर रोशन होंगे इसको लेकर एक पूरी कार्ययोजना पर तेजी से काम चल रहा है। उत्तराखंड में बिजली उत्पादन के लिए पिरूल की निर्बाध आपूर्ति के लिए कार्ययोजना बनाई जाएगी। मात्र तीन-चार महीने नहीं, बल्कि पूरे साल पिरूल से बनी ईंटों (बायोमास की ब्रिकेट) की आपूर्ति राज्य में इससे संबंधित बिजली उत्पादन संयंत्रों और एनटीपीसी को भी की जा सकेगी। मुख्य सचिव डा एसएस संधु ने वन विभाग को यह बीड़ा सौंपा है।

प्रदेश में 2018 में बनी पिरूल नीति को संशोधित किया जाएगा। नीति बनने के बाद पिरूल आधारित बिजली उत्पादन संयंत्रों को स्थानीय निवासियों को सौंपने की व्यवस्था लागू की गई। विभिन्न हिस्सों में ऐसे कई संयंत्र लगे, लेकिन इनमें पिरूल की आपूर्ति बड़ी समस्या बन गई। सालभर आपूर्ति नहीं होने से कई संयंत्रों के बंद होने की नौबत आ चुकी है। दरअसल, पिरूल से बिजली उत्पादन की योजना ग्रामीण आर्थिकी में प्राण फूंक सकती है, साथ में प्रदेश में जंगलों को आग से बचाने में बड़ी मदद मिलेगी। इस संबंध में नीति बनने के बावजूद उसका अपेक्षित लाभ नहीं मिल सका। प्रदेश में चार लाख हेक्टेयर वन में 16.36 प्रतिशत चीड़ के वन हैं। जंगलों से एकत्र किए जा रहे पिरूल के परिवहन में अधिक धन खर्च होना बड़ी समस्या है। मुख्य सचिव डा एसएस संधु ने इस समस्या से निपटने के लिए वन विभाग के साथ चर्चा की। उन्होंने विभाग को पिरूल को लेकर विस्तृत कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि बिजली उत्पादन संयंत्रों के लिए पिरूल के बजाय से उससे निर्मित ब्रिकेट पहुंचाई जाएंगी। इन ब्रिकेट का निर्माण 30 गुना कंप्रेशन पद्धति से वन विभाग कराएगा। ब्रिकेट तैयार होने के बाद उनका परिवहन बेहतर तरीके से होगा, साथ में इसकी नियमित आपूर्ति विद्युत उत्पादन संयंत्रों को की जा सकेगी। उन्होंने कहा कि एनटीपीसी को बिजली उत्पादन के लिए चारकोल की आवश्यकता होती है। बड़ी मात्रा में पिरूल की ब्रिकेट की आपूर्ति एनटीपीसी को भी की जा सकती है। ब्रिकेट का सालभर भंडारण संभव है। ऐसा होने पर प्रदेश को अतिरिक्त बिजली उपलब्ध हो सकेगी। साथ में स्थानीय व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध होगा। वन विभाग को टास्क फोर्स बनाकर इस काम को जल्द क्रियान्वित करने के निर्देश दिए गए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *