यमकेश्वरः बंजर पड़े खेतों में बागवानी कर आमजन के लिए प्ररेणा स्त्रोत बन रही है पिता पुत्र की जोड़ी

यमकेश्वरः बंजर पड़े खेतों में बागवानी कर आमजन के लिए प्ररेणा स्त्रोत बन रही है पिता पुत्र की जोड़ी
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यमकेश्वरः उत्तराखण्ड में जहॉ पलायन के कारण गॉव के गॉव खाली हो गये हैं, और यह प्रक्रिया जारी है, गॉव से पलायन होने के कारण खेत बंजर पड़े हुए हैं, चंद लोग जो गॉव में हैं वह खेती से दूरी बना रहे हैं, उसके पीछे जंगली जानवरांं की बढती तादाद और उनके द्वारा खेती को नुकसान पहुॅचाना है। वहीं कुछ लोग अपने खेतों को अन्य बाहरी लोगों को बेच कर शहरों की ओर उन्मुख हो रहे हैं। युवाओं का खासकर जॉब के प्रति रूझान है, इसके पीछे आधुनिक जीवन शैली का होना बताया जाता है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो धारा के विपरीत चलकर कुछ अलग हटकर काम करने की सोच रखते हैं, और मेहनत करके सकारात्मक परिणाम भी हासिल करते हैं।

ऐसे ही धारा के विपरीत कार्य करने वाले यमकेश्वर के ढौंसन गॉव के पिता पुत्र हैं, जो कि गॉव में अन्य लोगो से जमीन खरीदकर उस पर बागवानी कर रहे हैं, पिता लोक निर्माण विभाग में कार्यरत हैं, जबकि पुत्र हरिद्वार प्राईवेट कंपनी मेंं काम करता है और दोनों हर शनिवार को घर जाकर रविवार के दिन बागवानी करते हैं।

यमकेश्वर के ढौसन गॉव निवासी धाम सिंह पयाल जो कि लोक निर्माण विभाग में कार्यरत हैं, और उनके बेटे अरविंद पयाल हरिद्वार मेंं एक प्राईवेट कंपनी में काम करते हैं, दोनों काम के साथ साथ घर में खेती और बागवानी का कार्य भी करते हैं, उन्होंने गॉव में लगभग तीन नाली से अधिक जमीन गॉव के लोगों से खरीद ली और एक तरफा होने से उन्होंने चकबंदी कर उसमें बागवानी करनी शुरू कर दी है। पिता और पुत्र ने मिलकर आम, ऑवला, अमरूद के पेड़ लगाये हैं। उद्यान विभाग से और स्वंय के प्रयास से उन्होंने फलों के पेड़ खरीदे और लगाये हैं, अमरूद के पेड़ तो फल देने लग गये हैं, आम के लगभग दो सौ से अधिक पेड़ लगाये हैं, और सभी पेड़ अभी सुरक्षित हैं।

युवा अरविंद पयाल ने बताया कि खेतों में हमने हल्दी अरबी और अदरक तो लगाया ही है, साथ में हमने घर के पीछे तीन नाली से अधिक बंजर खेतों में बागवानी की है, आम के लगभग दो सौ पेड़ लगाये हैं, और ऑवले एवं अमरूद के भी पेड़ लगाये हैं, उन्होेने बताया कि अमरूद तो फल भी देने लगे हैं, यह देखकर काफी खुशी महसूस हुई। उन्होंने कहा कि पिताजी ने बाहर जमीन लेने से बजाय गॉव में ही जमीन लेकर इन्वेस्ट किया है, और हमने उनमें बागवानी कर ली है, हम दोनों पुत्र पिता मिलकर कार्य करते हैं। पिताजी हमेशा प्रेरणा देते रहते हैं, मुझे भी काफी शौक है और गॉव एवं अपनी मातृभूमि के प्रति लगाव होने से मेरे लिए बागवानी का चुनाव करना सबसे पंसदीदा और उपयुक्त है।

 

वहीं धाम सिंह पयाल ने कहा कि गॉव में पानी बिजली सड़क सब सुविधायें उपलब्ध हैं, गॉव में पारंपरिक खेती नहीं हो रही है तो बागवानी की जा सकती है, हालांकि जंगली जानवर बंदर आदि की समस्या तो है, किंतु यदि तारबाड़ कर दिया जाय और इसे व्यवसाय के तौर पर किया जाय तो जानवरों से बचाने के भी विकल्प मिल जायेगें। हमारा प्रयास रहेगा कि हम अगले बरसात और फलों के पेड़ भी लगायें। कीवी और ड्रेगन लगाने के लिए उद्यान विभाग से सम्पर्क कर जानकारी जुटायी जायेगी।

युवा अरविंद पयाल ने बताया कि गॉव में अमरूद की वैरायटी और फलों को देखकर लोगों में काफी उत्साह है, उम्मीद है कि बागवानी में हमें सफलता मिलेगी और हम अधिक से अधिक बागवानी कर इसको आगे बढा सकें, उन्होंने कहा कि इससे युवाओं को अवश्य प्रेरणा मिलेगी और वह भी इस ओर प्रयास करेगें।

Mankhi Ki Kalam se

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