विवादों में दून विश्वविधालय की नॉन टीचिंग भर्ती परीक्षा, यूकेडी नेता बोले चेहेतों की नियुक्ति के लिए हो रहा बड़ा खेल

विवादों में दून विश्वविधालय की नॉन टीचिंग भर्ती परीक्षा, यूकेडी नेता बोले चेहेतों की नियुक्ति के लिए हो रहा बड़ा खेल
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देहरादून। दून विश्वविधायल और विवादों का चोली दामन का साथ बना हुआ है। पिछले कुछ दिनों से विश्वविधायल अपने यहां विभिन्न पदों पर होने वाली नियुक्तिों को लेकर विवादों में है। कई संगठन इसको लेकर दून विश्वविधालय के बाहर आंदोलन भी कर चुके हैं। इस बार यूकेडी के तेज तर्रान नेता शांति प्रसाद भट्ट ने दस्तावेजों के साथ पूरे मामले का खुलासा किया है। किस तरह नॉन टीचिंग पदों पर चहेंतों की नियुक्ति के लिए खेल खेला जा रहा है। उत्तराखंड की संस्थाओं को छोड़ लखनउ की एक निजी कंपनी को भर्ती का ठेका दिया गया है। सुनिए क्या कहते हैं शांति प्रसाद भट्ट और कौन है इस भर्ती प्रक्रिया का पूरा मास्टर मांइड..?

यूकेडी मुख्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए वरिष्ठ नेता शांति प्रसाद भट्ट ने कहा कुछ अभ्यर्थियों द्वारा मुझे अवगत कराया गया कि दून विद्यालयद्वारा में नॉन टीचिंग पदों पर भर्ती हेतु प्रवेश पत्र 10 जून से जारी किए गये और महज 9 दिन बाद 19 जून को परीक्षा आयोजित की गई है। इतनी जल्दीबाजी में यह सब क्यों किया जा रहा है। इससे परीक्षाओं में अनियमिताओं की बू आ रही है। विज्ञापन होने के कुछ समय बाद कुछ पदों की शैक्षिक योग्यता में बदलाव किये गये।

यूकेडी नेता शांति प्रसाद भट्ट ने कहा पहाड़ों में इन्टरनेट की सुविधा राम भरोसे है। इस कारण युवावर्ग विश्वविद्यालय की वेबसाइट नहीं देख पाता है। ऐसे में वह इस परीक्षा में कैसे शामिल हो पायेगा। भट्ट ने आरोप लगाया कि प्रदेश में उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग संस्था होने के बावजूद लखनऊ की एक निजी कम्पनी को भर्ती प्रक्रिया का कार्य दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि विधि के कई सविंदा कर्मचारी इस परीक्षा में बैठ रहे हैं। यही नहीं विश्व विधालय परीक्षा अपने कैम्पस में करवा रहा है। भट्ट ने कहा ऐसा लग रहा है जैसे विश्वविद्यालय द्वारा नेताओं एवं अधिकारियों के चहेतों को सीधे लाभ पहुंचाने के लिए यह सब किया गया हो।

यूकेडी नेता शांति प्रसाद भट्ट ने कहा पिछले दिनों विश्वविद्यालय द्वारा जन सम्पर्क अधिकारी के पद का भी विज्ञापन निकाला गया था। जिस पर किसी चहते को नियुक्त करने की पूरी योजना थी किन्तु समय रहते ही मेरे द्वारा कुलपति से मिलकर विरोध दर्ज किया गया था। इस वजह से आज तक विश्वविद्यालय उस भर्ती प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ा पाया। वर्तमान कुलसचिव एवं तत्कालीन सहायक कुलसचिव डॉक्टर मंगल सिंह उस प्रक्रिया में मुख्य भूमिका मैं थे। वर्तमान में दून विश्वविद्यालय के कुलसचिव मंगल सिंह मंद्रवाल की खुद की नियुक्ति संबंधित वाद उच्च न्यायालय में लंबित है।

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