ऋषिकेश के एनडीएस स्कूल के छात्र आदर्श भट्ट ने एसएफए खेलों में एक बार फिर जीता निशानेबाज़ी का पदक

ऋषिकेश के एनडीएस स्कूल के छात्र आदर्श भट्ट ने एसएफए खेलों में एक बार फिर जीता निशानेबाज़ी का पदक
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ऋषिकेश : निशाने बाज़ी के क्षेत्र में निरंत्तर अपना परचम लहरा रहे यमकेश्वर के उदीयमान निशानेबाज़ आदर्श भट्ट ने राजधानी देहरादून के जसपाल राणा शुटिंग रेंज में चल रहे एस एफ ए खेलों के निशानेबाज़ी प्रतियोगिता मे एक बार फिर काँटे के मुक़ाबले मे कांस्य पदक पर क़ब्ज़ा कर क्षेत्र को एक बार फिर गौरवान्वित होने का अवसर प्रदान किया ईससे पहले भी आदर्श भट्ट राज्य स्तरीय प्रतियोगिता का स्वर्ण पदक भी अपने नाम कर चुके हैं नवंम्बर मे होने वाली राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिये पहले से ही अपना स्थान सुनिश्चित कर चुके आदर्श आज काँटे के मुक़ाबले मे ईस बहु प्रतिष्ठित प्रतियोगिता का कांस्य पदक अपने नाम करने में सफल रहे प्रतियोगिता के दौरान एक बार तो आदर्श स्वर्ण पदक की दौड़ में सबसे आगे बने हुये थे जब उसने अपने पहले तीन टार्गेट क्रमश 99.95.94 के स्कोर अर्जित कर स्वर्ण पदक की रेस में बने रहे लेकिन अंतिम टार्गेट मे 91 का स्कोर पड़ने से वो दो अंकों से स्वर्ण व एक अंक से रजत पदक से चूक गये और आदर्श को कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा अपने पुरे मैच में आदर्श ने 400 अंकों में से 379 का स्कोर अर्जित किया ऋषिकेश के एनडीएस स्कूल मे दसवीं के छात्र आदर्श भट्ट ने बताया कि वो राष्ट्रीय निशानेबाज़ी प्रतियोगिता के लिये दिन रात मेहनत कर रहे हैं व देश के लिये ओलंपिक पदक जीतना ही उनका लक्ष्य है जिसको लेकर आदर्श ने बताया कि उनके पिता जो कि पूर्व सैनिक हैं सुदेश भट्ट उनकी पुरी हौसलाफजाई करते हैं और देश के जिस भी कोने में प्रतियोगिता हो वो आदर्श को वहाँ मैच खेलने के लिये पुरा सहयोग करते हैं अभी तक राज्य से बहार भी कई बड़ी प्रतियोगिता में वो हिस्सा ले चुका है जिससे उसका अनुभव व आत्म विश्वास बढ़ा है मूल रुप से पौडी गडवाल के यमकेश्वर विकास खंड के बूंगा गाँव निवासी आदर्श भट्ट के पिता पूर्व सैनिक सुदेश भट्ट ने बताया कि आदर्श अपने खेल के प्रति बहुत ही गंभीर व कड़ी मेहनत कर रहा है जिसके लिये वो भी हर समय उसकी हौसलाफजाई व प्रोत्साहन करते रहते हैं आदर्श कि अभी तक की उपलब्धियों के लिये सुदेश भट्ट ने उसके कोच व गुरुजनों के सहयोग के लिये धन्यवाद ब्यक्त किया जो लगातार उसका मार्ग दर्शन व हौसलाफजाई करते रहते हैं

Mankhi Ki Kalam se

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